कोविड-19 से बचाव के टीके खरीदने के लिए उत्तर प्रदेश और बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की वैश्विक निविदाओं को शुरुआती चरण में बोलीदाताओं का साथ नहीं मिला है। लिहाजा, संभावित बोलीदाताओं को आकर्षित करने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और बीएमसी ने अपनी निविदा शर्तों में संशोधन किए हैं। पश्चिम बंगाल और बिहार सहित देश के दूसरे राज्य भी टीका खरीदने के लिए वैश्विक निविदा आमंत्रित करने के विकल्प पर विचार कर रहे हैं।
बीएमसी के एक अधिकारी ने कहा, ‘हमने निविदा की तारीख एक सप्ताह के लिए आगे खिसका दी है। निविदा में कुछ कंपनियों ने रुचि दिखाई है। इस प्रक्रिया में अधिक से अधिक संख्या में बोलीदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए हमने अभिरुचि व्यक्त (ईओआई) करने की तारीख एक सप्ताह बढ़ाकर 25 मई कर दी है।’कोविड-19 से सुरक्षा के टीके खरीदने के लिए वैश्विक निविदा जारी करने वाला बीएमसी देश का पहला नगर निकाय है। बीएमसी ने 1 करोड़ खुराक के लिए निविदा जारी की थी। इसमें रुचि दिखाने वाले बोलीदाताओं से बोलियां लेने की आखिरी तारीख रविवार थी, लेकिन किसी ने बोली नहीं लगाई। बीएमसी को मॉडर्ना, फाइजर और जॉनसन ऐंड जॉनसन जैसी कंपनियों से बोलियां मिलने की उम्मीद थी, लेकिन इन कंपनियों के टीकों को भारत में मंजूरी मिलने का अभी इंतजार है।
बीएमसी के एक अधिकारी ने कहा कि जो कंपनियां बोली लगाएंगी उन्हें दवा नियामक से अनिवार्य रूप से मंजूरी लेनी होगी और आवश्यक भंडारण सुविधा भी मुहैया करनी होगी। अधिकारी ने कहा, ‘इनमें कुछ कंपनियों के टीकों को सहेज कर रखने के लिए शून्य से भी कम तापमान की जरूरत होती है। हम उम्मीद करते हैं कि ये कंपनियां शीत भंडारण की सुविधाएं भी साथ लाएंगी।’ उत्तर प्रदेश भी 18 से 45 आयु वर्ग वाले 9 करोड़ लोगों को टीके लगाना चाहता है। उत्तर प्रदेश सरकार की निविदा में भी बोलीदाताओं ने रुचि नहीं दिखाई है। राज्य सरकार ने अब 4 करोड़ खुराक खरीदने के लिए वैश्विक निविदा की शर्तों में ढील दी है। बोली आमंत्रित करने से पूर्व हुई बैठक में फाइजर, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई), भारत बायोटेक, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज (रूस में तैयार टीके स्पूतनिक वी के उत्पादन के लिए कंपनी ने समझौता किया है) और जायडस कैडिला के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। दक्षिण कोरिया की एक कंपनी के प्रतिनिधियों ने भी इस बैठक में हिस्सा लिया।
उत्तर प्रदेश दवा आपूर्ति निगम (यूपीएमएससी) द्वारा 12 मई को ऑनलाइन माध्यम से आयोजित बैठक में अग्रणी टीका विनिर्माताओं की प्रतिक्रियाएं जानने के बाद राज्य सरकार ने निविदा की शर्तों में संशोधन किए हैं। उत्तर प्रदेश ने 2 से 8 डिग्री के बीच टीकों के भंडारण की शर्त में बदलाव किया है। राज्य सरकार ने स्पष्ट किया है कि अगर शून्य से कम तापमान पर टीके की रखने की जरूरत पेश आती है तब भी यह अब बाधा नहीं होगी। इस तरह, राज्य सरकार की निविदा में वे कंपनियां भी शिरकत कर पाएंगी जिनके टीके संरक्षित करने के लिए शून्य से कम तापमान की जरूरत होती है। इससे पहले 2 से 8 डिग्री तापमान पर भंडारण की शर्त से फाइजर और मॉडर्ना जैसी कंपनियां निविदा से स्वत: ही बाहर हो गई थीं। इन दोनों कंपनियों के टीके एमआरएनए तकनीक पर आधारित हैं जिन्हें शून्य से 20 से 80 डिग्री कम तापमान पर रखना पड़ता है। इसके अलावा राज्य सरकार ने निविदा में भाग लेने वाली कं पनियों के लिए अमानत रााशि भी 16 करोड़ रुपये से घटाकर 8 करोड़ रुपये कर दी है। राज्य सरकार के सूत्रों ने दावा किया कि एसआईआई ने निविदा में यह कहते हुए भाग लेने से मना कर दिया था कि उसे बड़ी तादाद में पहले से ही ऑर्डर मिले हुए हैं।
टीका विनिर्माता कंपनियों के साथ राज्य सरकार की बैठक में हुई चर्चा की एक प्रति बिज़नेस स्टैंडर्ड के पास भी उपलब्ध है। इस दस्तावेज के अनुसार फाइजर ने बताया कि उसे अपने टीके की आपूर्ति के लिए केंद्र सरकार से जल्द अनुमति मिलने की उम्मीद है। जाइडस कैडिला कहा कि उसे अगले महीने टीका आपूर्ति की मंजूरी मिल सकती है।
पिछले महीने उत्तर प्रदेश सरकार ने भारत बायोटेक और एसआईआई से सीधे 50-50 लाख खुराक खरीदने का निर्णय लिया था। उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया था, ‘निविदा के जरिये टीकों की खरीदारी और 1 करोड़ खुराक के अलावा राज्य सरकार को केंद्र से भी टीकाकरण अभियान के लिए अतिरिक्त खुराक मिलेगी।’ बिहार सरकार भी टीके खरीदने के लिए वैश्विक निविदा जारी करने पर विचार कर रही है। राज्य के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को टीकों के लिए निविदा आमंत्रित करने की सलाह दी है। राज्य सरकार टीकाकरण कार्यक्रम पर 4,165 करोड़ रुपये खर्च करने की सिद्धांत रूप में मंजूरी दे चुकी है। इनमें 1,000 करोड़ रुपये पहले ही आवंटित किए जा चुके हैं। पश्चिम बंगाल भी निविदा जारी करने की योजना बना रही है लेकिन इससे पहले वह विशेषज्ञों से सलाह मशविरा करेगी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि केंद्र राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को 20 करोड़ से अधिक खुराक नि:शुल्क दे चुका है। इनमें 16 मई तक 18.7 करोड़ खुराक की खपत हो चुकी है। मंत्रालय ने 17 मई को कहा, ‘राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को अगले तीन दिनों में टीकों की 2,94,660 खुराक और मिलेगी।’
दिल्ली: तीसरी लहर से बचाव की तैयारी
दिल्ली सरकार ने कोरोना की संभावित तीसरी लहर के मद्देनजर अपनी तैयारियां तेज कर दी है। इस संबंध में आज उच्चस्तरीय बैठक की गई और तीसरी लहर से बच्चों को बचाने के लिए विशेष कार्य बल गठित करने का निर्णय लिया गया। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बैठक के बाद कहा कि अगर कोरोना की तीसरी लहर आती है, तो उससे लडऩे के लिए हमें पहले से ही तैयार रहना होगा। अस्पतालों में बेड, ऑक्सीजन और दवाओं का पहले से ही प्रबंध करना होगा, इसके लिए अधिकारियों की एक समिति बनाई जाएगी।
उत्तर प्रदेश में ब्लैक फंगस का कहर
कोरोना के साथ ही उत्तर प्रदेश में यूकोरमायकोसिस यानी ब्लैक फंगस का कहर बढऩे लगा है। प्रदेश में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक ब्लैक फंगस के 102 रोगी मिले हैं और 15 लोगों की मौत इस जानलेवा बीमारी से हो चुकी है। ब्लैक फंगस से संक्रमितों को लेकर अभी केवल शहरों के ही आंकड़े आ सके हैं और इनमें सबसे ज्यादा मरीज राजधानी लखनऊ और मेरठ में मिले हैं।
बीते 24 घंटों में ब्लैक फंगस के 23 नए मरीज सिर्फ लखनऊ में मिले हैं जबकि मेरठ में 24 मरीज मिले हैं। इन सबके बीच इसके उपचार में प्रयोग की जाने वाली दवाओं की भारी किल्लत आ गई है। प्रदेश के ज्यादातर बड़े शहरों में ब्लैक फंगस के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं बाजार से गायब हो गई हैं। इस बीमारी से पीडि़तों के परिजनों को दवाओं के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। तीमारदारों का कहना है कि ब्लैक फंगस होम आइसोलेशन में भी हो रहा है और कोविड निगेटिव हो जाने के बाद भी इसका हमला हो रहा है।
राजधानी के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में अभी तक ब्लैक फंगस के 50 मरीज भर्ती हो चुके हैं।