सरकार ई-रसीद का दूसरा चरण लागू करने की ओर बढ़ रही है। आगामी 1 अप्रैल से 50 करोड़ रुपये और उससे ऊपर के कारोबार वाली इकाइयों को इस व्यवस्था को लागू किया जाएगा। इसकी सीमित तैयारियों को लेकर सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) चिंतित हैं।
शुरुआत में 500 करोड़ रुपये सा इससे ज्यादा कारोबार करने वाली कंपनियों के लिए ई-रसीद अनिवार्य किया गया था और उसके बाद 1 जनवरी से 100 करोड़ रुपये और उससे ऊपर की कंपनियों के लिए इसे अनिवार्य किया गया। यह बिजनेस टु बिजनेस लेनदेन के लिए था। इस व्यवस्था के तहत 56,000 जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) पहचान संख्या शामिल हैं और 1 अप्रैल से इसमें 95,000 जीएसटीआईएन और जुड़ जाने की उम्मीद है। अगर कोई इकाई दो या इससे ज्यादा क्षेत्रों में कारोबार करती है या एक ही राज्य में कई कारोबार करने के लिए पंजीकरण कराती है तो उसके कई जीएसटीआईएन हो सकते हैं।
एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘पहले दो चरणों के आसानी से लागू होने के बाद अब हमें 1 अप्रैल से अगले चरण के आसानी से लागू होने का विश्वास है। इस व्यवस्था में तेजी आ रही है। हमें विश्वास है कि एमएसएमई यह व्यवस्था अपनाने में सक्षम होंगी और दिए गए वक्त में उन्होंने तकनीक व्यवस्था मजबूत कर ली है।’
बहरहाल कॉन्फेडरेशन आप आल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल का कहना है कि जीएसटी पंजीकृत 1.2 अरब कारोबारियों में 25 प्रतिशत 50 से 100 करोड़ रुपये के कारोबार के दायरे में आते हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में इस व्यवस्था को नहीं जानते हैं। उन्होंने कहा, ‘सरकार को 50 से 100 करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वालों के पास जाना चाहिए और उन्हें ई-रसीद के लिए तैयार करना चाहिए। तमाम कारोबारी इस व्यवस्था से वाकिफ नहीं हैं।’
उन्होंने आगे कहा कि सरकार को इस सीमा में कारोबार करने वालों के लिए 3 महीने की प्रायोगिक परियोजना चलानी चाहिए और जीएसटीएन पोर्टल का अनुभव देने के साथ उन्हें जुर्माना लगाए जाने के मामले में कुछ छूट मिलनी चाहिए।
खंडेलवाल ने कहा, ‘सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अगर मैं ई-रसीद जारी करना चाहता हूं तो पोर्टल हमें खारिज नहीं करेगा। जीएसटी नियमों में नए संशोधन के मुताबिक सरकार इसके लिए विक्रेता को जिम्मेदार बना रही है। हम पारदर्शिता और अनुपालन के इच्छुक हैं, लेकिन छोटे कारोबारियों को दिक्कत नहीं होनी चाहिए।’
अक्टूबर में औसतन रोजाना 15 लाख ई-रसीद निकाली जाती थी, जो अब बढ़कर 21-25 लाख तक पहुंच गई है।
एएमआरजी एसोसिएट्स के पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि ई-रसीद को लेकर कोई बड़ी चुनौती नहीं आएगी, लेकिन एमएसएमई को इसे अपनाने को लेकर अपनी चिंता हैं।
टैली सॉल्यूशंस के निदेशक (उत्पाद प्रबंधन) मोहन डी ने कहा कि किसी इकाई के कार्यबल को इस नई तकनीक के संचालन का कौशल होना चाहिए, जिससे कि पूरी प्रक्रिया को लागू किया जा सके। उन्होंने कहा कि छोटे व मझोले बाजारों के छोटे कारोबारियों को तकनीक आधारिक कारोबार प्रक्रिया से कुछ कठिनाइयां हो सकती हैं, खासकर पहली बार तकनीक का इस्तेमाल करने वालों को इसे समझने में दिक्क त हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘उन्हें अपने कार्यबल को कुशल बनाना होगा और उचित आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था करनी होगी।’
एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि ई-रसीद के प्रॉसेसिंग या लेनदेन के दौरान कारोबारी किसी अप्रत्याशित स्तिति जैसे इंटरनेट की गड़बड़ी या अन्य तकनीकी मसलों को लेकर चिंतित रहते हैं, जो लेन-देन में व्यधान पैदा कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘ऐसी स्थिति से बचने के लिए कारोबारियों के लिए यह जरूरी है कि सामान्य और लचीले बिजनेस सॉल्यूशंस का इस्तेमाल करें, जिससे वे सिस्टम बदलने और पूरी प्रक्रिया नए सिरे से शुरू करने के बजाय काम आगे बढ़ा सकें।’
