राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने कथित तौर पर हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा करने का दावा करने वाली पत्रिका ‘पाञ्चजन्य’ में इन्फोसिस की आलोचना से जुड़े एक आलेख से किनारा कर लिया है। आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि उक्त पत्रिका में इन्फोसिस पर प्रकाशित टिप्पणी से संघ का कोई लेना-देना नहीं है।
संघ कार्यकर्ताओं का कहना है कि संभवत: सरकार की तरफ से इस आलेख पर ध्यान आकृष्टï किए जाने के बाद आरएसएस के प्रचार प्रमुख की तरफ से यह टिप्पणी आई है। आरएसएस के रुख का समर्थन करने वाली पत्रिका पाञ्चजन्य ने 5 सितंबर को प्रकाशित संस्करण में चार पृष्ठों की आवरण कथा में आयकर पोर्टल में तकनीकी खामियों के लिए इन्फोसिस की आलोचना की थी।
इस आलेख में इन्फोसिस के एक राजनीतिक दल से कथित संबंध होने पर सवाल उठाया गया था। इस पत्रिका ने कहा कि मोदी सरकार की छवि खराब करने के लिए कंपनी एक साजिश के तहत आयकर पोर्टल में खामियां रहने दी हैं। कंपनी के सह-संस्थापक नंदन निलेकणी कांग्रेस के नेतृत्व वाले सरकार में मंत्री रह चुके हैं। पाञ्चजन्य में प्रकाशित आलेख में यह जताने की कोशिश की गई थी कि इन्फोसिस के सबंध में आरएसएस का भी यही मानना है।
मगर आरएसएस ने रविवार को साफ किया कि इन्फोसिस की आलोचना से उसका उसका कोई लेना-देना नहीं है। आंबेकर ने कहा, ‘एक भारतीय कंपनी के तौर पर आरएसएस ने भारत की प्रगति में अहम योगदान दिया है। इन्फोसिस द्वारा संचालित आयकर पोर्टल में कुछ खामियां हो सकती हैं लेकिन इस संदर्भ में पाञ्चजन्य में प्रकाशित आलेख में लेखक के निजी विचार हैं। पाञ्चजन्य आरएसएस का मुखपत्र नहीं है और उक्त आलेख में प्रकाशित विचारों को संघ के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए।’
आरएसएस के सूत्रों ने कहा कि इन्फोसिस की आलोचना संघ परिवार के कार्यकर्ताओं के विचारों से प्रेरित हो सकती है। आंबेकर के स्पष्टीकरण के बाद पाञ्चजन्य या इसका प्रकाशन एवं मुद्रण करने वाली भारत प्रकाशन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
वैसे आरएसएस का स्पष्टीकरण जो भी हो, लेकिन कई ऐसे मौके आए हैं जब आरएसएस के कार्यकर्ताओं की तल्ख टिप्पणी एवं रोष के बाद भाजपा शासित राज्यों में हुई कुछ नियुक्तियों पर घमासान मचा है। इस वर्ष के शुरू में मुंबई स्थित चुनाव एवं संवाद रणनीतिकार तुषार पांचाल मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के विशेष कार्य अधिकारी (ओएसडी) बनाए गए थे।
हालांकि संघ कार्यकर्ताओं के कड़े रोष के बाद उन्होंने अपनी नियुक्ति के 24 घंटे के भीतर इस्तीफा दे दिया। कार्यकर्ताओं ने पांचाल के उन पुराने ट्वीट का हवाला दिया था, जो बकौल कार्यकर्ता, हिंदू-विरोधी थे। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के मीडिया सलाहकार दिनेश मनसेरा के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था। आरएसएस कार्यकर्ताओं ने यह कहकर उनका विरोध किया कि मनसेरा सरकार के आलोचक रहे हैं इसलिए उनकी नियुक्ति उचित नहीं। कुछ दिनों में मनसेरा की नियुक्ति रद्द हो गई।