भारत के 20 प्रमुख राज्यों में टीकाकरण पर कुल 3.7 लाख करोड़ रुपये लागत आएगी। यह लागत जून तक राज्यों में होने वाले लॉकडाउन से 5.5 लाख करोड़ रुपये के संभावित आर्थिक नुकसान से कम होगा। भारतीय स्टेट बैंक की आर्थिक शाखा ने एक रिपोर्ट में यह कहा है।
हाल के इकोरैप रिपोर्ट में स्टेट बैंक के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्यकांति घोष ने लिखा है, ‘यूनीसेफ के उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक टीके की कीमत 2 से 40 डॉलर के बीच है। अगर हम विभिन्न कीमतों जैसे 5 डॉलर, 10 डॉलर, 20 डॉलर, 30 डॉलर और 40 डॉलर को देखते हुए रुपये डॉलर की 73 की विनिमय दर से एक सामान्य हिसाब निकालते हैं, और कल्पना करते हैं कि केंद्र सरकार कुल आबादी में 50 प्रतिशत को टीके देती है तो विभिन्न राज्यों की शेष 50 प्रतिशत आबादी के टीकाकरण में सिक्किम को 0.2 अरब रुपये (5 डॉलर प्रति खुराक के हिसाब से) और उत्तर प्रदेश को 671 अरब रुपये (40 डॉलर प्रति खुराक के हिसाब से) खर्च होंगे।’ घोष का कहना है कि यह चरम स्थिति में होगा और हर राज्य में टीकाकरण की लागत अलग होगी। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अगर हम इस परिदृश्य के हिसाब से विश्लेषण करें तो 20 प्रमुख राज्यों का व्यय अधिकतम मूल्य के हिसाब से बिहार के कुल व्यय का 16 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश व झारखंड जैसे राज्यों के कुल व्यय के 12 प्रतिशत के बराबर खर्च आएगा।’ केंद्र व राज्यों को इसके लिए कोल्ड चेन की बुनियादी ढांचा व्यवस्था तैयार करनी होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार को सबसे ज्यादा प्रभावित इलाकों में प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण करना होगा।
घोष ने कहा, ‘ज्यादा आबादी वाले गरीब राज्य तेजी से टीकाकरण नहीं कर पाएंगे। अमीर राज्य वैश्विक बाजार से महंगे दाम पर टीका खरीद कर तेजी से टीकाकरण कर सकते हैं।’
यूनिसेफ (संयुक्त राष्ट्र बाल कोष) के आंकड़ों के मुताबिक उत्पादन की क्षमता (प्रति खुराक) वैश्विक रूप से 2021 में 22.2 अरब है। इस 22.2 अरब संभावित उत्पादन क्षमता में से 13.74 अरब खुराक फॉर्मलाइज्ड और 9.34 अरब सिक्योर्ड है। भारत ने 0.28 अरब खुराक सिक्योर किया है व अन्य विकल्पों की भी तलाश कर रहा है।
