चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा आवंटित करीब 60 प्रतिशत परियोजनाएं सरकार द्वारा वित्तपोषित हैं।
एनएचएआई के मुताबिक कोविड-19 महामारी की चुनौतियों के बावजूद अप्रैल-सितंबर के दौरान 47,289 करोड़ रुपये की 40 परियोजनाओं का आवंटन किया गया, जिनकी कुल लंबाई 1,330 किलोमीटर है। एनएचएआई ने एक बयान में कहा है, ‘चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में आवंटित परियोजनाएं वित्त वर्ष 19-20 में आवंटित 828 किलोमीटर की तुलना में 1.6 गुना और वित्त वर्ष 18-19 में आवंटित 373 किलोमीटर की तुलना में 3.5 गुना ज्यादा हैं।’ परियोजना में सिविल कार्यों, भूमि अधिग्रहण, व निर्माण के पूर्व की अन्य गतिविधियों की लागत शामिल है। एक अधिकारी ने कहा कि 40 परियोजनाओं में से 24 राजमार्ग ठेके इंजीनियरिंग खरीद निर्माण (ईपीसी) परियोजनाएं हैं जबकि शेष 16 परियोजनाएं हाइब्रिड एन्युटी मॉडल पर हैं।
ईपीसी ठेकों पर पूरी तरह से सरकारी खजाने के धन से काम होता है और इससे ठेकेदारों के हाथ में पैसे मिलते हैं जिसमें यातायात कम या ज्यादा होने का जोखिम नहीं होता है। वहीं एचएएम परियोजनाओं में सरकार कुल लागत का 40 प्रतिशत धन मुहैया कराती है।
डेलॉयट इंडिया में पार्टनर कुशल सिंह ने कहा, ‘एचएएम परियोजना की तुलना में ईपीसी की बोली आसान होती है। एचएएम को अंतिम रूप देने में ज्यादा वक्त लगता है।’ प्राधिकरण ने कहा कि उसने 2020-21 के दौरान 4,500 किलोमीटर सड़क आवंटन की योजना बनाई है।
एनएचएआई की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में जिन कंपनियों को परियोजनाओं का आवंटन किया गया है, उनमें दिलीप बिल्डकॉन, लार्सन ऐंड टुब्रो, आईआरबी इन्फ्रास्ट्रक्चर ऐंड डेवलपर्स, सद्भाव इंजीनियरिंग, अशोका बिल्डकॉन, पीएनसी इन्फ्राटेक, सनवे कंस्ट्रक्शन, जीएमआर इन्फ्रा शामिल हैं।
