भारतीय बाजार में सस्ते उत्पाद उतारकर भट्ठा बिठाने की तोहमत झेल रहे चीन से कम से कम कानपुर तो बहुत खुश है क्योंकि यहां होने वाले मोती के कारोबार को चीन से जबरदस्त चमक मिल रही है।
तकरीबन 2 साल पहले यहां चीनी मोती का नामोनिशान नहीं था, लेकिन अब यहां के मोती बाजार में सस्ते चीनी मोती की हिस्सेदारी 50 फीसदी हो गई है, जिससे खरीदारी में भी तेजी आई है।
उत्तर प्रदेश के जौहरियों के लिए कानपुर मोती के गहनों का बड़ा केंद्र है।?यहां से गहने बिहार और मध्य प्रदेश में भी भेजे जाते हैं। हाल में यहां मोती के गहनों की मांग काफी ज्यादा बढ़ गई है क्योंकि चीन से आए सस्ते मोतियों के कारण गहनों की लागत भी कम हो गई है। इसलिए लोग मोती के आभूषणों को ज्यादा पसंद कर रहे हैं।
लाला पुरुषोत्तम दास ज्वैलर्स के मालिक विवेक गुप्ता ने बताया कि चीनी मोतियों की कीमत आम मोतियों के मुकाबले 70 फीसदी कम होती है। भारत में मोतियों का बाजार लगभग 300 करोड़ रुपये सालाना का है। जिसमें से लगभग 150 करोड़ रुपये के बाजार पर चीनी मोतियों का कब्जा है।
कानपुर में ही हर महीने लगभग 4 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। इसमें असंगठित क्षेत्र के लगभग 600 ज्वैलर और कुछ ब्रांडेड रिटेलर शामिल हैं। शाह मार्केट में रिटेलर गुलशन खत्री ने बताया कि चीनी मोतियों की मांग बढ़ी है क्योंकि बसरा मोतियों से ये काफी सस्ते हैं और इनकी गुणवत्ता भी सुधरी है। शायद मोती ही एक ऐसा रत्न है जो कई कीमतों में उपलब्ध है।
मोती की कीमत 10 रुपये प्रति ग्राम से शुरू होकर 2,000 रुपये प्रति ग्राम तक होती है। नेकलेस, मोती के पेंडेंट, मोती की अंगूठियां, कफलिंक्स काफी मांग में हैं। लेकिन प्रशिक्षित श्रमिकों और डिजाइनरों की कमी के क ारण कारोबार में इजाफा मनमाफिक रफ्तार से नहीं हो पा रहा है। गुप्ता ने बताया, ‘यहां प्रशिक्षित डिजाइनरों की कमी के कारण रईस ग्राहकों की मांग को पूरी करने के लिए हमें दिल्ली और हैदराबाद के डिजाइनरों से काम कराना पड़ता है।’
उत्तर प्रदेश सर्राफा एसोसिएशन के अध्यक्ष महेश चंद्र जैन ने बताया, ‘आधुनिक डिजाइन तकनीक और पारंपरिक कला को मिला दिया जाए तो इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं मौजूद हैं।’ अभी तक बीड्स जापान, चीन, ताइवान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया से ही आयात किए जाते हैं।
शहर के एक और मोती कारोबारी आर डी अग्रवाल चीनी मोतियों की बढ़ती मांग का एक और कारण बता रहे हैं। उन्होंने बताया, ‘बसरा से आने वाला मोती काफी महंगा होता है। इसे रईस लोग ही खरीद सकते हैं। अभी यह बिक्री के उपलब्ध नहीं है। इस समय सबसे अधिक चीन से आने वाला फ्रेश वाटर पर्ल ही आसानी से उपलब्ध है।’
ड्रैगन का तोहफा
देश में 300 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार है मोतियों का
50 फीसदी बाजार पर चीनी मोतियों का हो गया है कब्जा
चीनी मोती 70 फीसदी तक सस्ते
इसलिए बढ़ गई मांग, मिला कारीगरों को काम
