अगर सब कुछ ठीक रहा तो इस महीने के अंत तक कोरोनावायरस के मरीजों के इलाज के लिए भारतीय बाजार में रेमडेसिविर दवा आ सकती है। सूत्रों का यह दावा है। दवा खर्चीली भी होगी क्योंकि इसकी 11 खुराक का कोर्स करीब 55,000 रुपये का पडऩे का अनुमान है। मगर बांग्लादेश से आयातित दवा की कीमत के मुकाबले यह बहुत कम है। इस समय भारत-चीन सीमा पर तनाव बढ़ रहा है। ऐसे में कंपनियों का दावा है कि भारत में रेमडेसिविर बनाने के लिए सभी आवश्यक चीजें उपलब्ध हैं और उसे चीन से कच्चा माल बिल्कुल नहीं मंगाना पड़ेगा।
गिलियड ने अपनी दवा रेमडेसिविर के सुर्खियों में आने के बाद कुछ भारतीय दवा विनिर्माता कंपनियों के साथ यह दवा बनाने और भारत तथा पड़ोसी देशों को बेचने के लिए पिछले महीने करार किया था। गिलियड को जून के पहले सप्ताह में रेमडेसिविर के लिए भारतीय दवा नियामक से मंजूरी मिल गई। भारत में यह दवा बनाने का लाइसेंस सिप्ला, हेटेरो, जाइडस कैडिला, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज, जुबिलैंट और नीदरलैंड की कंपनी मायलन को मिला है मगर अभी तक उन्हें भारतीय औषध महानियंत्रक से औपचारिक मंजूरी नहीं मिली है।
देश में यह दवा उपलब्ध कराने की मांग लगातार बढ़ती जा रही है। महाराष्ट्र जैसे राज्यों ने बांग्लादेशी कंपनियों से इसके आयात के बारे में भी विचार किया है। बहुत से मरीजों ने व्यक्तिगत रूप से दवा आयात की मंजूरी नियामक से मांगी है। लेकिन अब कई सूत्र बता रहे हैं कि देसी औषधि कंपनियां जल्द ही रेमडेसिविर मुहैया करा देंगी। रेमडेसिविर इंजेक्शन के रूप में मरीजों को दी जाती है। उम्मीद है कि इससे मरीजों को अस्पताल में कम समय रखना पड़ेगा और उनके स्वास्थ्य में जल्द सुधार आएगा।
भारत में लाइसेंस पाने वाली एक कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय दवा मानक एवं नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने स्टेबिलिटी डेटा मांगा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि दवा उपयोग करने के लिए सुरक्षित है। उन्होंने नाम प्रकाशित नहीं करने का आग्रह करते हुए कहा, ‘केंद्रीय दवा जांच प्रयोगशाला को विनिर्माताओं द्वारा परीक्षण के लिए सौंपी गई खेप की जांच करन थी। सब कुछ ठीक रहा तो 8-10 दिन में मंजूरी मिल सकती है और इस महीने के अंत तक दवा बाजार में आ सकती है।’
उन्होंने कहा कि भारतीय बाजार में दवा की कीमत प्रतिस्पर्धी रहेगी। एक खुराक की कीमत करीब 5,000 रुपये हो सकती है। मरीज को कुल 11 खुराक की जरूरत होगी। इस तरह एक मरीज पर इलाज का कुल खर्च करीब 55,000 रुपये आएगा। एक अन्य लाइसेंसशुदा कंपनी ने कहा, ‘भारत अच्छी प्रतिस्पर्धा वाला बाजार है। मांग और आपूर्ति के हिसाब से कीमतें बदलती रहेंगी। लेकिन कीमत मरीजों के लिए अड़चन नहीं बनेगी। आज मरीज अस्पतालों में रोजाना 35,000 से 60,000 रुपये चुका रहे हैं। यह दवा लेने पर अस्पताल में 3-4 दिन कम बिताने होंगे। इस तरह दवा की कीमत वसूल हो जाएगी।’
उद्योग के सूत्रों ने दावा किया कि बांग्लादेश की दवा कंपनियां ऐक्टिव फार्मास्यूटिकल इन्ग्रीडिएंट्स (एपीआई) का चीन से आयात कर रही हैं और इसीलिए वे प्रति इंजेक्शन करीब 10,000 रुपये मांग रही हैं।
