दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) को मुंबई हवाईअड्डे के राजस्व से सालाना फीस के तौर पर 38.7 प्रतिशत हिस्सा लेने से रोक दिया है। कोविड-19 महामारी के कारण मुंबई हवाईअड्डे के कारोबार पर हुए असर को देखते हुए उच्च न्यायालय ने यह निर्णय सुनाया है। मुंबई हवाईअड्डे ने कोविड-19 महामारी का हवाला देते हुए एस्क्रो खाते से 29 करोड़ रुपये जुलाई में एएआई के खाते में पहुंचने पर न्यायालय में अपील की थी। पिछले शुक्रवार को दिल्ली उच्च न्यायालय ने मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा लिमिटेड (मायल) को अंतरिम राहत दी और एएआई को एस्क्रो खाते से अपने खाते में रकम लेने से रोक दिया। इस मामले पर मध्यस्थता न्यायाधिकरण का निर्णय आने तक मायल के लिए यह अंतरिम राहत लागू रहेगी।
उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि हवाईअड्डे के परिचालन से मायल को मिले वास्तविक भुगतान का 38.7 प्रतिशत हिस्सा आदेश की तिथि से एस्क्रो खाते में में जमा किया जाएगा। दोनों पक्षों को इस विवाद पर विस्तार से निर्णय लेने के लिए दस दिनों के भीतर एक-एक मध्यस्थ नियुक्त करने के लिए कहा गया है।
न्यायालय का यह आदेश एएआई के लिए झटके से कम नही है।
एएआई को वित्त वर्ष 2021 में नुकसान होने की आशंका है और समझा जा रहा है कि वह न्यायालय के निर्णय के खिलाफ अपील कर सकती है। सरकार नियंत्रित हवाईअड्डा परिचालक के लिए दिल्ली और मुंबई हवाईअड्डे से प्राप्त रकम राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है।
मायल एएआई और जीवीके समूह के बीच की संयुक्त उद्यम है। इस वर्ष अगस्त के अंत में अदाणी समूह ने जीवीके समूह से मुंबई हवाईअड्डे का अधिग्रहण करने की घोषणा की थी, लेकिन यह प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हो पाई है। अधिग्रहण पूरा होते ही मायल में मालिकाना नियंत्रण बदल जाएगा।
एएआई और मायल के बीच 2006 में एक समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत मायल अपने सालाना अनुमानित राजस्व का 38.7 प्रतिशत हिस्सा सालाना शुल्क के तौर पर देने पर सहमत हुई थी। समझौते के तहत एक एस्क्रो खाता खोला गया है, जिसमें मुंबई हवाईअड्डे को मिलने वाली सारी रकम जमा होती है। इस खाते में आई रकम उप-खातों में अंतरित होती है जहां से विभिन्न मदों में भुगतान किया जाता है।
