कोविड-19 के मामले बढऩे और वायरस के खत्म होने की संभावना न होने की स्थिति को देखते हुए बीमा नियामक ने कोरोना केंद्रित बीमा के दिशानिर्देर्शों में बदलाव किया है। अब इसके नवीकरण, माइग्रेशन और पोर्टेबिलिटी की अनुमति मिल गई है।
शुरुआत में बीमा नियामक ने कहा था कि इस तरह के उत्पादों पर आजीवन नवीकरण, माइग्रेशन और पोर्टेबिलिटी के नियम लागू नहीं होंगे। बहरहाल अब दिशानिर्देशों में बदलाव कर दिया गया है और ‘कोरोना कवच’ और ‘कोरोना रक्षक’ पॉलिसियों को पॉलिसीधारक की पसंद के मुताबिक साढ़े तीन महीने, साढ़े छह महीने और साढ़े नौ महीने तक की किसी भी अवधि तक नवीकरण की अनुमति मिल गई है। साथ ही बीमा पॉलिसी की अवधि पूरी होने के पहले भी नवीकरण हो सकेगा।
इसके नवीकरण में 15 दिन की प्रतीक्षा अवधि नहीं होगी और पॉलिसी कवरेज बाधारहित जारी रहेगी। नवीकरण के दौरान बीमित राशि में भी बदलाव किया जा सकेगा। नियामक ने कहा है कि अगर बीमित राशि बढ़ाई जाती है तो प्रतीक्षा अवधि सिर्फ बढ़ी राशि पर लागू होगी। जहां तक माइग्रेशन का मसला है, कोरोना कवच पॉलिसी के लिए बीमाकर्ता को किसी अन्य स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी की पेशकश करने की स्वतंत्रता होगी। इसके अलावा ग्रुप पॉलिसी के मामलों में बीमाकर्ता बीमित सदस्यों को कोई अन्य व्यक्तिगत क्षतिपूर्ति आधारित स्वास्थ्य बीमा की पेशकश कर सकता है अगर सदस्य ग्रुप पॉलिसी से निकलता है।
