जैसे ही सूरज की आखिरी किरण फैक्ट्रियों के पीछे से आंखमिचौली खेलते हुए दिन खत्म होने का इशारा करती है वैसे ही कई महिलाएं इस औद्योगिक शहर की वसंतम टेक्सटाइल मिल में अपनी काम की पारी शुरू करने जा रही हैं।
अपनी-अपनी मशीनों पर मोर्चा संभालते हुए ये महिलाएं अपने काम में जुट जाती हैं लेकिन हॉल में खाली पड़ी मशीनें कुछ और ही दास्तां बयां करती दिखती हैं। वसंतम टेक्सटाइल के मालिक सेल्वा कुमार कहते हैं, ‘चार महीने पहले मेरे यहां 70 कामगार थे लेकिन अब केवल 45 रह गए हैं।’
देश के दक्षिणवर्ती सूबे के इस शहर का देश के कपड़ा उद्योग में खासा वजूद है। लोकसभा के नये परिसीमन के बाद यह लोक सभा क्षेत्र भी बन गया है। लेकिन चुनावी दौर में यहां कई मुद्दे गूंज रहे हैं, जाहिर है नौकरी पर लटकती तलवार उनमें से सबसे प्रमुख है।
तिरुपुर निर्यात संघ के सूत्रों के मुताबिक 25 से 30 हजार लोग पहले ही अपनी नौकरी गंवा चुके हैं। इनमें से कई तो वापस अपने गांवों और कस्बों में लौट चुके हैं। वहीं फैक्ट्री मालिकों के मुताबिक यह आंकड़ा किसी भी सूरत में 50,000 से कम नहीं है। वहीं जिनकी नौकरी बची हुई वह भी अपने वेतन से 40 से 50 फीसदी कम पर काम कर रहे हैं।
तिरुपुर के इस संकट में के वल वैश्विक मंदी की ही भूमिका नहीं है बल्कि यहां बिजली की किल्लत ने भी कपड़ा मिलों की दुश्वारियां बढ़ाने का काम किया है, जिसकी वजह से भी मिल मालिकों को काम के घंटे कम करने पड़े हैं।
तिरुपुर निर्यातक संघ (टीईए) के कार्यकारी सचिव एस शक्तिवेल कहते हैं, ‘पिछले एक साल से हमें रोजाना 5 से 6 घंटे की बिजली कटौती झेलनी पड़ रही है। बिजली भी 4.70 रुपये प्रति यूनिट के हिसाब से मिल रही है। अगर हम डीजल जनरेटर के जरिये उत्पादन करें तो प्रति यूनिट लागत 11 से 12 रुपये तक बैठती है जो हमारी पहुंच से बाहर है। यही वजह है कि हम चीन जैसे देशों से पिछड़ते जा रहे हैं।’
बिजली कटौती का असर केवल कपड़ा मिलों तक ही सीमित नहीं है बल्कि कई दूसरे उत्पादों की बिक्री को प्रभावित कर रहा है। शहर में इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की दुकान चलाने वाले मनोज कुमार कहते हैं, ‘यहां पर एसी की बिक्री में भी 25 फीसदी की कमी आई है।’
यहां के बिजली संकट के लिए राज्य की करुणानिधि सरकार की नीतियों को भी जिम्मेदार बताया जा रहा है। यहां के लोगों का आरोप है कि सूबे की सरकार बिजली वितरण में पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रही है।
टीईए के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं, ‘चेन्नई के आसपास एक गहन औद्योगिक क्षेत्र बना है। इसमें कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां हैं। सरकार ऐसे क्षेत्रों को वरीयता के हिसाब से बिजली मुहैया करा रही है।’
कपड़े पर बिजली की कैंची
कपड़ा उद्योग के मक्का तिरुपुर पर आई मुसीबत
मंदी के भूत के अलावा बिजली की कटौती का लग रहा है झटका
25 से 50 हजार नौकरियों पर गिर चुकी है गाज
जिनकी नौकरियां बचीं, उनका वेतन हो चुका है पहले के मुकाबले आधा
मिल मालिकों ने कम कर दिए हैं काम के घंटे
राज्य सरकार की पक्षपातपूर्ण नीति की वजह से हालत खराब
