मंदी में चाहे कोई रोता रहे, किरायेदारों के तो वारे न्यारे हो रहे हैं, खास तौर पर व्यावसायिक किरायेदारों के। दरअसल बिक्री और कारोबार में कमी को देखकर तमाम कंपनियां आलीशान इमारतों में दफ्तर चलाने से तौबा कर रही हैं।
इसी वजह से व्यावसायिक फ्लैटों के किराये में 40 से 50 फीसदी तक की कमी देखने को मिल रही है। सबसे ज्यादा कमी तो मुंबई में देखने को मिल रही है।
बड़े कारोबारियों और कंपनियों को आम तौर पर दक्षिण मुंबई के नरीमन प्वायंट, चर्च गेट, चर्नी रोड, वर्ली, लोअर परेल जैसे इलाके दफ्तर बनाने के लिए पसंद आते हैं।
लेकिन पिछले तीन महीनों में यहां दफ्तरों के किराये तेजी से गिरे हैं। पहले यहां औसतन 300 से 400 रुपये प्रति वर्ग फुट के हिसाब से हर महीने किराया देना पड़ता था, लेकिन अब यह दर घटकर 150 से 200 रुपये प्रति वर्ग फुट रह गई है।
इतना ही नहीं पगड़ी पर भी फर्क पड़ा है। 11 महीने के लिए किराये का एग्रीमेंट बनवाते समय पहले 9 से 12 महीने का किराया बतौर पगड़ी जमा करना होता था, लेकिन अब यह भी घटकर 1 से 4 महीने का ही रह गया है।
हीरा कारोबार के गढ़ के नाम से मशहूर ओपेरा हाउस इलाके में प्रसाद चेंबर, श्रीजी चेंबर और पंचरत्न बिल्डिंग के किराये 40 फीसदी से भी ज्यादा गिरे हैं। 6 महीने पहले तक प्रसाद चेंबर में किराया 850-900 रुपये प्रति वर्ग फुट चल रहा था।
अब इसे घटाकर 500 रुपये प्रति वर्ग फुट कर दिया गया है, फिर भी किरायेदार रुकने का नाम नहीं ले रहे हैं। आलम यह है कि 400 रुपये प्रति वर्ग फुट पर भी किरायेदार नहीं मिल रहे हैं।
श्रीजी बिल्डिंग मे न्यूनतम किराया 400 रुपये प्रति वर्गफुट है, लेकिन असल में केवल 250-300 रुपये की दर से ही दफ्तर मिल जा रहे हैं। पंचरत्न में भी न्यूनतम दर 400 रुपये रखी गई है लेकिन कारोबारियों के पलायन के कारण यहां भी किरायेदारों का टोटा है।
प्रसाद चेंबर के कारोबारी संजय भाई के अनुसार दरअसल दो साल पहले जब कारोबार में उछाल आया, तो लोग यहां दफ्तर खोलना चाहते थे क्योंकि यह इलाका कारोबारियों का गढ़ रहा है।
मांग बढ़ने की वजह से बिल्डिग के मालिकों ने गैरेज, छोटी दुकानों और छोटी-छोटी जगहों को भी ऑफिस की शक्ल देकर किराये पर उठा दिया, लेकिन आज जब चारों ओर मंदी चल रही है, तो लोग यहां ले ऑफिस खाली कर सस्ते इलाकों में जा रहे हैं।
मांग में कमी को देखते हुए किराया कम करना मजबूरी हो गई है। रियल एस्टेट कारोबारी अर्जुन भाई कहते हैं कि बिल्डिंगों के न्यूनतम दर पर भी किरायेदार न मिलने की वजह से उससे भी कम दर पर ऑफिस देने को बिल्डिंग मालिक तैयार है इसके बाद भी धंधा न होने के कारण इस इलाके से पलायन कर रहे हैं।
बिक्री और मार्जिन में कमी से कंपनियां ले रही हैं सस्ते दफ्तर
मुंबई में आलीशान दफ्तरों पर पड़ गए ताले
किराये हुए आधे, फिर भी रुक नहीं रहे हैं किरायेदार