जैसे जैसे हम राष्ट्रीय कोविड-19 प्रतिरक्षण अभियान के करीब आ रहे हैं, वैसे वैसे बाजार में आने के बाद टीकों की ट्रैकिंग सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने पर काम शुरू हो गया है।
यह कदम कई कारणों से अहम होगा। जैसे, किसी भी नकली टीके को आपूर्ति शृंखला में शामिल होने से रोकना, किसी विनिर्माण संबंधी त्रुटि या अन्य कमी के कारण टीके के पूरे बैच को वापस मंगाना तथा यह सुनिश्चित करना कि किसी व्यक्ति को एक ही निर्माता द्वारा विकसित टीके की दो खुराक मिली हों।
जीएस 1 जैसे गैर-लाभकारी वैश्विक संगठन, जो व्यापार संचार के लिए मानक (बारकोड आदि) विकसित करते हैं, ने पहले ही इस मामले में केंद्र को एक अवधारणा पत्र प्रस्तुत किया है। वे बारकोड जारी करने के लिए भारत में वाणिज्य मंत्रालय के तहत अधिकृत एकमात्र संगठन हैं।
बिज़नेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए, जीएस 1 इंडिया के सीओओ एस. स्वामीनाथन ने कहा कि उन्होंने केंद्र सरकार के थिंक टैंक नीति आयोग से संपर्क किया है और पहले ही सरकार को एक अवधारणा पत्र सौंप दिया है। संगठन को लगता है कि वर्तमान में बारकोडिंग का उपयोग निर्माताओं एवं लोगों द्वारा आपूर्ति शृंखला में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है, सिस्टम अलग-अलग काम कर रहे हैं।
स्वामीनाथन कहते हैं, ‘हर सिस्टम अलग-अलग काम कर रहे हैं। वे एक दूसरे से जुड़े हुए नहीं हैं। निर्माता के पास निगरानी करने की अपनी प्रणाली है, वितरकों एवं आपूर्ति शृंखला वालों के पास दूसरी प्रणाली है और अंतिम चरण वालों एवं अस्पतालों के पास अपना तंत्र है। डेटाबेस का कोई केंद्रीय तंत्र नहीं है।’
उन्हें लगता है कि अगर सरकार एक ऐप्लिकेशन विकसित करके वितरण शृंखला में सभी को उससे जोड़ दे तो टीकों की खुराक की ट्रैकिंग और ट्रेसिंग आसान हो जाएगी। वह कहते हैं, ‘हमें क्या करना होगा कि जब शृंखला में शामिल किसी व्यक्ति को टीका मिले तो उस टीके का बारकोड स्कैन होकर संपूर्ण जानकारी केंद्रीय तंत्र में चली जाए। वे जब पैकेज को आगे भेजें तो उसे दोबारा स्कैन करके मिलान किया जाए। इससे आखिरी बिंदु तक टीके से जुड़े डेटा का मिलान किया जाए।’
ट्रैकिंग से और भी फायदे होंगे। अगर टीके के किसी बैच में कोई कमी पाई जाए तो स्कैनिंग की मदद से उस बैच को वापस बुलाया जा सकता है। इसकी मदद से किसी फर्जी टीके की भी जांच की जा सकती है।
टीका बनाने वाली एक कंपनी ने कहा, ‘हमने अपने उत्पादों के लिए बारकोड निर्धारित किए हैं। बाजार में भेजने वाले हर टीके के बारकोड को ट्रैक करना असंभव है, लेकिन कोविड-19 के मामले में स्थिति अलग है। चूंकि इस टीके की बड़े पैमाने पर मांग है। इसलिए सिस्टम में आने वाले प्रत्येक टीके के लिए हम उचित कार्रवाई करेंगे।’
स्वामीनाथन को लगता है कि कोरोना के टीके के लिए एक साझा मंच या तंत्र होना चाहिए जिसके माध्यम से विभिन्न स्रोतों से आने वाले टीकों को ट्रैक किया जाएगा।
सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि टीकों पर आपूर्ति शृंखला प्रबंधन समिति पहले से ही इन पहलुओं पर काम कर रही थी। उन्होंने कहा, ‘लॉजिस्टिक्स का आईटी प्रबंधन योजना का एक अहम हिस्सा है। हम इसे प्रभावी ढंग से लागू करने के बारे में विशेषज्ञों के साथ चर्चा कर रहे हैं। कोविड-19 टीकाकरण अभियान में, यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि जिस किसी को एक टीके की खुराक मिल, वह सही समय पर दूसरी खुराक भी ले। व्यक्ति को उसी निर्माता से दूसरा टीका भी मिलता है।’
इस सिस्टम को आरोग्य सेतु मोबाइल ऐप के साथ-साथ आधार आईडी से भी जोड़ा जा सकता है। आरोग्य सेतु के माध्यम से एक व्यक्ति को पुन: टीकाकरण के लिए जाने के लिए एक अधिसूचना मिल सकती है और आधार उस व्यक्ति को ट्रैक करने में मदद करेगा।
स्वामीनाथन का यह भी कहना है कि टीके की वास्तविक समय की निगरानी, नकली उत्पादों की पहचान करने के लिए अहम होगी।
