जब 1982 में पहली बार भारत ने एशियाई खेलों का आयोजन नई दिल्ली में कराया था तब देश के कारोबारी राजगुरुओं का मानना था कि इस खेल के आयोजन के बाद यहां की कारोबारी छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान मिलेगी।
कुछ ऐसी ही उम्मीदें पहली दफा देश में आयोजित कराए जाने वाले राष्ट्रमंडल खेल 2010 से हैं। बहरहाल, देश के कारोबारी राजगुरुओं की ये उम्मीदें तभी साकार हो सकती हैं जब विभिन्न खेलों के लिए बनाए जा रहे सभी स्टेडियमों के निर्माण व मरम्मत कार्यों को निर्धारित अवधि तक पूरा कर लिया जाए।
अभी आलम यह है कि खेल के उद्धाटन समारोह की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है और अभी तक कुल काम का 40-45 फीसदी हिस्सा ही पूरा हो पाया है। यही नहीं जिन बड़े स्टेडियमों को नए सिरे से बनाया जाना है, उनके निर्माण कार्य में एक से डेढ़ महीने का विलंब होने की आशंका जताई जा रही है।
राष्ट्रमंडल खेल 2010 के आयोजन के लिए बनाई गई आयोजन समिति के उपाध्यक्ष रणधीर सिंह ने बताया, ‘ज्यादातर स्टेडियमों का निर्माण कार्य समय पर चल रहा है और यह उम्मीद है कि उसे निर्धारित अवधि तक पूरा कर लिया जाएगा। लेकिन यहां के कुछ बड़े स्टेडियम जिसे नए सिरे से बनाया जा रहा है उनमें एक महीने का विलंब हो सकता है।’
इसके अलावा, इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम, तालकटोरा इंडोर स्टेडियम के निर्माण अवधि में भी विलंब होने की आशंका जताई जा रही है। हालांकि आयोजन समिति के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी का कहना है, ‘स्टेडियमों के निर्माण और मरम्मत कार्य बिल्कुल अपने निर्धारित समय पर पूरा कर लिया जाएगा और हम उन्हें मार्च, 2010 में ट्रायल के लिए सौंप देंगे।’
खेल का उद्धाटन और समापन समारोह जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में किया जाएगा और महत्वपूर्ण खेलों का आयोजन भी यही होगा। इस स्टेडियम के निर्माण व मरम्मत कार्य का दिसंबर 2009 तक पूरा करने का लक्ष्य है। रणधीर सिंह ने बताया, ‘जहां तक जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम का सवाल है तो वहां ओपनिंग और क्लोजिंग दोनों आयोजन किए जाने हैं।
लिहाजा वहां निर्माण कार्य बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। हो सकता है कि इस स्टेडियम का निर्माण पूरा करने का समय जो नवंबर 2009 है उसमें एक महीना और लग जाए। संभवत: इस स्टेडियम के निर्माण कार्य पूरा करने में एक महीने का विलंब हो।’
नाम न छापने की शर्त पर सीपीडब्ल्यूडी के एक अधिकारी ने बताया कि शुरुआत में मंत्रालय से नक्शों को मंजूरी मिलने में देरी हुई, जिसकी वजह से निर्धारित अवधि के लक्ष्य को पूरा करना हमारे लिए थोड़ा चुनौती का काम है।
हालांकि जिन स्टेडियमों में साइकलिंग खेल का आयोजन किया जाएगा, उनकी बनावट को लेकर भी असमंजस की स्थिति पैदा हुई थी। सिंह ने बताया, ‘खुले में साइकलिंग के आयोजन को लेकर अंतरराष्ट्रीय महासंघ को आपत्ति थी और उनका कहना था कि इसे इंडोर में करना चाहिए। हालांकि अब स्थिति साफ हो चुकी है। जहां साइकलिंग होने है वहां का निर्माण कार्य मार्च 2010 तक पूरा किया जाएगा और ट्रायल जून 2010 में होगा।’
सिंह ने बताया कि त्यागराज खेल परिसर, डॉ. करणी सिंह शूटिंग रेंज और कुछ अन्य बड़े स्टेडियम निश्चित रूप से समय से पूरे हो जाएंगे। सिंह ने यह भी बताया कि इस अक्टूबर में आम सभा का आयोजन किया जाना है जिसमें राष्ट्रमंडल खेल 2010 से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं पर फैसला लिया जाएगा।
दिल्ली विश्वविद्यायल के अभियंता अनुपम श्रीवास्तव ने बताया, ‘हम लोग यहां के निर्माण कार्य को मार्च 2010 तक पूरा कर लेंगे। हम अपने लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं और अभी तक 40 फीसदी काम का निपटारा किया जा चुका है।’
केंद्रीय खेल एवं युवा मामलों के राज्य मंत्री एम एस गिल ने राज्यसभा में पूछे गए सवालों में बताया था कि राष्ट्रमंडल खेल के लिए 7,907 करोड़ रुपये खर्च होंगे जिसमें से सबसे बड़ी राशि 2,195 करोड़ रुपये नए स्टेडियमों को विकसित करने और मरम्मत करने के लिए खर्च होंगे। टेनिस कोर्ट विकसित करने के लिए 62.75 करोड़ रुपये और 1,628 करोड़ रुपये आयोजन पर खर्च किए जाएंगे।
