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राजनाथ ने की उच्चस्तरीय बैठक

Last Updated- December 15, 2022 | 2:16 AM IST

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और शीर्ष सैन्य अधकारियों ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के बीच हुए पांच सूत्री समझौते पर शुक्रवार को चर्चा की। सरकारी सूत्रों ने बताया कि बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत, थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे, वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल आर. के. एस. भदौरिया और नौसेना प्रमुख एडमिरल कर्मबीर सिंह तथा अन्य अधिकारी शामिल थे। उन्होंने बताया कि बैठक में पूर्वी लद्दाख में पैंगोंग सो झील के दक्षिणी किनारे पर इस सप्ताह के शुरू में दोनों पक्षों के बीच हुए ताजा टकराव के मद्देनजर सुरक्षा परिदृश्य की समग्र समीक्षा भी की गई। बैठक में जनरल नरवणे ने किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सेना की युद्धक तैयारी के बारे में जानकारी दी और भीषण सर्दी के महीनों में बलों को ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रखने संबंधी योजनाओं की जानकारी दी।

समिति के समक्ष पेश हुए रावत

लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच लंबे समय से चल रहे गतिरोध के बीच शुक्रवार को प्रमुख रक्षा अध्यक्ष बिपिन रावत संसद की रक्षा मामलों की समिति के समक्ष पेश हुए। हालांकि बैठक का आधिकारिक एजेंडा (सैन्य बलों, विशेषकर सीमा क्षेत्रों में, के लिए राशन के सामान और वर्दी का प्रावधान और इसकी गुणवत्ता की निगरानी के तौर पर) सूचीबद्ध किया गया था लेकिन कुछ सदस्यों ने कहा कि वह लद्दाख की स्थिति का मामला भी उठाएंगे। संसद की रक्षा मामलों की समिति के अध्यक्ष भाजपा नेता जोएल ओराम हैं। बैठक में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार और कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी शामिल थे। इससे पहले पवार ने कहा था कि वह लद्दाख में एलएसी पर स्थिति को लेकर सदस्यों के समक्ष एक प्रस्तुतीकरण देने के लिए कहेंगे। हालांकि भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के बीच मई की शुरुआत से पूर्वी लद्दाख में एलएसी के पास कई स्थानों पर तनावपूर्ण गतिरोध बना हुआ है। भाषा

आतंकवादी संगठनों पर कार्रवाई करे पाकिस्तान

भारत और अमेरिका ने कहा है कि पाकिस्तान को आतंकवादी संगठनों के खिलाफ तत्काल, सतत और अपरिवर्तनीय कार्रवाई करने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि उसके नियंत्रण वाले किसी भी क्षेत्र का इस्तेमाल आतंकवादी गतिविधियों में नहीं हो। भारत और अमेरिका ने गुरुवार को एक संयुक्त बयान में यह बात कही। दोनों देशों ने इस्लामाबाद से मुंबई हमले और पठानकोट वायु सेना अड्डे पर हुए हमले सहित अन्य आतंकवादी हमलों के दोषियों के खिलाफ त्वरित कानूनी कार्रवाई की भी मांग की। ‘भारत अमेरिका आतंकवाद निरोधी संयुक्त कार्य समूह’ की 17वीं बैठक और ‘इंडिया-यूएस डेजिग्नेशन डायलॉग’ के तीसरे सत्र के बाद जारी एक संयुक्त बयान में दोनों देशों ने आतंकवाद के परोक्ष इस्तेमाल और सीमा-पार आतंकवाद की निंदा की। यह सत्र 9-10 सितंबर को ऑनलाइन आयोजित किया गया था। भाषा

First Published - September 11, 2020 | 11:46 PM IST

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