अनुदान के लिए पूरक मांग की दूसरी किस्त के तहत रेल मंत्रालय को 20,000 करोड़ रुपये मिलेंगे। इससे वर्ष 2021-22 में रेलवे के पूंजीगत व्यय का आवंटन 2.35 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगा। संसद द्वारा पूरक मांग को मंजूरी दिए जाने के बाद रेलवे का बजट 40,575.93 करोड़ रुपये तक बढ़ जाएगा।
रेल बजट के विशेषज्ञ एम नागेश्वर राव ने कहा कि शेष राशि को रेलवे के पास मौजूदा आवंटन के साथ दोबारा पुनर्विनियोजित किया जाएगा। इसलिए 20,000 करोड़ रुपये की राशि को संसद की मंजूरी से मिलेगी और शेष मौजूदा अनुदानों के साथ पुनर्विनियोजित करने से। मौजूदा कोष का पुनर्विनियोजन रेलवे के परिवर्तन वाले कार्यों की प्राथमिकताओं का संकेत है।
संसद की मंजूरी मिलने के बाद सकल बजट सहायता से राष्ट्रीय रेल संरक्षक कोष को 10,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्तहस्तांतरण किया जाएगा। इस कोष का निर्माण वर्ष 2017-18 में पांच वर्षों के दौरान महत्त्वपूर्ण सुरक्षा-संबंधी कार्यों के लिए एक लाख करोड़ रुपये की राशि के साथ किया गया था। इस कोष का वार्षिक अनुमानित परिव्यय 20,000 करोड़ रुपये था।
केंद्रीय बजट 2021-22 में इस कोष को 5,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। अनुदान की इस पूरक मांग के आवंटन से इस वित्त वर्ष के दौरान इस कोष में 15,000 करोड़ रुपये होंगे। इससे मुख्य रूप से पटरियों के नवीनीकरण (7,500 करोड़ रुपये) और पुल संबंधी कार्यों (1,200 करोड़ रुपये) का व्यय किया जाएगा। इस पूरक अनुदान के अंतर्गत स्टेशनों के उन्नयन के लिए 12,000 करोड़ रुपये और 100 रेलगाडिय़ों की लागत के लिए 11,000 करोड़ रुपये दिए गए हैं।
भारतीय उद्योग परिसंघ में कॉरपोरेट जगत के दिग्गजों को संबोधित करते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने शनिवार को कहा था कि यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। वैष्णव के अनुसार नई लाइनों और पटरियों के दोहरीकरण तथा विद्युतीकरण के साथ-साथ अन्य चीजों पर व्यय सही राह पर है।
भोपाल और गांधीनगर के स्टेशनों को शहर के साथ एकीकृत करने और यात्री प्रवाह के दृष्टिकोण को ध्यान में रखकर पुनर्विकसित किए जाने से शीघ्र ही 40 और स्टेशनों के लिए निविदाएं दी जाएंगी।
