भारतीय रेलवे ने आईआरसीटीसी द्वारा चलाई जा रहीं कॉरपोरेट ट्रेनों लखनऊ-दिल्ली और अहमदाबाद-मुंबई का परिचालन रोक दिया है। इसकी वजह यह है कि कोविड महामारी के बीच इन ट्रेनों में कम सीटें भर रही हैं। इन ट्रेनों का परिचालन करीब एक महीने पहले दोबारा शुरू हुआ था।
आईआरसीटीसी ने कहा है कि लखनऊ-नई दिल्ली तेजस एक्सप्रेस 23 नवंबर से और अहमदाबाद-मुंबई 24 नवंबर से नहीं चलेगी। इससे उद्योग से जुड़े लोगों में इस बात को लेकर संदेह पैदा हुआ है कि क्या आगामी निजी ट्रेन व्यवहार्य होंगी क्योंकि उनके घाटे रहित परिचालन के लिए उनमें प्रत्येक फेरे में 70 फीसदी सीटें भरना जरूरी है। हालांकि कुछ का कहना है कि यह मुश्किल स्थिति कुछ समय ही रहेगी।
अहमदाबाद-मुंबई में केवल 25 फीसदी सीटें भर पा रही हैं, जबकि दिल्ली-लखनऊ तेजस एक्सप्रेस में करीब 35 सीटें भर पाती हैं। इस वजह से इनका परिचालन रोका जा रहा है। उद्योग से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, ‘प्रत्येक फेरे में आईआरसीटीसी को 15 लाख रुपये और लीज शुल्क चुकाना होगा। इसकी भरपाई के लिए 70 फीसदी सीटों का भरना जरूरी है। यह किसी भी निजी उद्यमी के लिए बड़ी चिंता रहेगी।’
लखनऊ-नई दिल्ली तेजस एक्सप्रेस का परिचालन पिछले साल 4 अक्टूबर को शुरू हुआ था। वहीं अहमदाबाद-मुंबई ट्रेन इस साल 19 जनवरी को शुरू हुई। कोविड-19 महामारी के कारण इनका परिचालन मार्च से रुका हुआ था और 17 अक्टूबर को फिर से शुरू हुआ। इस घटनाक्रम से परिचित अधिकारियों के मुताबिक इस समय सीटें कम भरने की वजह महामारी के कारण यात्रा को लेकर डर है।
भारतीय रेलवे 109 मार्गों पर 151 नई निजी ट्रेन शुरू करने जा रहा है, जिन पर करीब 30,000 करोड़ रुपये का निवेश होगा। निजी उद्यमी हरेक ट्रेन पर करीब 200 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे। इसे पहले ही निजी उद्यमियों के लिए कड़ी चुनौती माना जा रहा है क्योंकि उन्हें अत्यधिक सब्सिडीयुक्त भारतीय रेलवे से प्रतिस्पर्धा करनी होगी। रोचक बात यह है कि भारतीय रेलवे यात्री खंड में यात्रा लागत का केवल 57 फीसदी ही वसूल रहा है। वहीं उपनगरीय ट्रेनों की लागत का केवल 40 फीसदी वसूलता है। ताजा उपलब्ध अनुमानों के मुताबिक रेलवे यात्रियों से प्रत्येक 10 किलोमीटर के लिए केवल 36 पैसे शुल्क ले रहा है, जबकि वह इतनी दूरी पर करीब 73 पैसे खर्च करता है।
क्रिसिल इन्फ्रास्ट्रक्चर एडवाइजरी के निदेशक और प्रैक्ट्सि लीड (परिवहन) जगन्नारायण पद्मनाभन ने कहा, ‘यात्रियों पर कोविड-19 का बड़ा असर पड़ा है। लोग केवल अत्यधिक जरूरी होने पर ही यात्रा कर रहे हैं। इसमें अगली तो तिमाहियों में सुधार आएगा। निजी ट्रेन 2023-24 में चलनी शुरू होंगी, इसलिए पूरे उद्योग का मानना है कि तब तक हालात सामान्य हो जाएंगे।’
जो टे्रन विनिर्माता निजी ट्रेनों में बड़े कारोबारी अवसरों पर दांव लगा रहे हैं, उनका भी लगातार सकारात्मक रुख बना हुआ है। स्पेन की विनिर्माता टैल्गो की भारतीय इकाई के प्रबंध निदेशक सुब्रत नाथ ने कहा, ‘मौजूदा स्थिति केवल कोविड की वजह से है। हमें ट्रेनों के आपूर्तिकर्ता के रूप में भारी संभावनाएं नजर आ रही हैं।
