केंद्र सरकार ने काम के लिए एक राज्य से दूसरे राज्य जाने वाले निर्माण श्रमिकों को प्रवास प्रमाण पत्र जारी करने का प्रस्ताव किया है, जिससे उन्हें विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के तहत लाभ मिल सके। कोविड-19 महामारी के दौरान देखा गया कि तमाम निर्माण श्रमिकों को प्राधिकारियों से कल्याणकारी योजनाओं का पर्याप्त लाभ नहीं लिम सका, क्योंकि उनके पास उचित आंकड़े नहीं थे, साथ ही अन्य मसले भी सामने आए।
केंद्र सरकार ने राज्यों के सामने अगले 3 महीने में निर्माण श्रमिकों का कवरेज दोगुना करने का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, जिससे उन्हें कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा निर्माण श्रमिकों के लिए तैयार किए गए परामर्श में कहा गया है, ‘इस समय कोई गतिशील अखिल भारतीय स्तर का पोर्टल नहीं है और हर राज्य के अपने अपने आंकड़े हैं, जो संभवत: अपने आंकड़े हस्तांतरित करने में सक्षम हो, या न हो।’ केंद्र ने इस महीने की शुरुआत मेंं राज्यों को विस्तृत परामर्श दिशानिर्देश भेजे हैं।
प्रस्तावित व्यवस्था के तहत कामगारों का ऑनलाइन पंजीकरण उनके मोबाइल नबंरों के माध्यम से होगा। पंजीकरण के बाद उन्हें प्रवास प्रमाण पत्र दिया जाएगा, जो ऐसे सभी श्रमिकों को स्वत: व तत्काल जारी हो जाएगा। जब श्रमिक किसी अन्य राज्य में विस्थापित होगा तो उसके आंकड़े नैशनल पोर्टल पर अपलोड हो जाएंगे और उस राज्य द्वारा उसे पंजीकरण संख्या दी जाएगी, जहां वह काम करने गया होगा, जिससे कि विस्थापन के बाद भी उसे लाभ मिलते रहें।
आगे केंद्र ने राज्यों से कहा है कि एक योजना बनाई जाए, जिससे कि सभी निर्माण श्रमिकों को महामारी और प्राकृतिक आपदा के समय भत्ता मिल सके।
भारत के कुल 5 करोड़ निर्माण श्रमिकों में से सिर्फ 1.9 करोड़ को ही प्रत्यक्ष नकदी हस्तांतरण के माध्यम से वित्तीय सहायता मिल सकी है और केंद्र सरकार ने अगले 3 महीने के दौरान इसका दायरा बढ़ाने के लिए रणनीति बनाने को कहा है। सरकार ने राज्यों को भेजे परामर्श में उन मसलों का उल्लेख किया है, जिनके कारण निर्माण श्रमिक उपलब्ध कल्याणकारी लाभों से बाहर हैं और इसकी वजह से वे असुरक्षित हैं।
दस्तावेज में कहा गया है, ”यह मुख्य रूप से श्रमिको के आधार और बैंक का ब्योरा उपलब्ध न होने के कारण हुआ है। कुछ राज्यों ने बैंक खाते न होने व डिजिटलीकरण न होने जैसे रिकॉर्ड न होने के कारण एक रुपये भी श्रमिकों को नहीं दिया है।’
सरकार ने परियोजना को मिशन की तरह चलाने के लिए 5 स्तरीय उद्देश्य तय किए हैं, जिससे सभी निर्माण श्रमिकों को शामिल किया जा सके और कल्याण कोष का प्रभावी तरीके से इस्तेमाल हो सके।
दिशानिर्देशों में कहा गया है, ‘यह सुझाव दिया जाता है कि इस तरह के संकट में उन्हें उल्लेखनीय भत्ता दिया जा सकता है, जब प्राकृतिक आपदाओं के कारण वह बेरोजगार हों, उन्हें काम न मिले।’
