जब तक पुलिसकर्मियों की संख्या नहीं बढ़ेगी, निजी सुरक्षा एजेंसियों की चांदी रहेगी। देश के बड़े शहरों में निजी सुरक्षाकर्मियों की मांग में हुई जबरदस्त बढ़ोतरी को देख तो ऐसा ही लगता है। सुरक्षा से जुड़ी चीजों के कारोबार की तो पूछिए मत। मंदी के इस माहौल में भी उनकी बल्ले–बल्ले है। सिर्फ एक महीने के दौरान कारोबार में 30 फीसदी की बढ़ोतरी। दिल्ली में तो आलम यह है कि इन दिनों विभिन्न मोहल्ले में होने वाली रामलीलाओं में सुरक्षा गार्डों की तैनाती के लिए संयोजकों को सुरक्षा एजेंसी की मिन्नतें करनी पड़ रही हैं। इस मौके का फायदा उठाकर कई जगहों पर सुरक्षाकर्मियों की तैनाती के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हो रही है।
कई शहरों में हुए बम धमाके के बाद सुरक्षाकर्मियों की मांग में 30-40 फीसदी का इजाफा हुआ है। प्रीमियम सिक्योरिटी के अधिकारी के मुताबिक पिछले दो सालों से हर साल 20-25 फीसदी तक उनके कारोबार में बढ़ोतरी हो रही है। सुरक्षा एजेंसी स्काईलार्क के अधिकारी अरुण चौहान कहते हैं, ‘निश्चित रूप से बम ब्लास्ट के बाद मांग में बढ़ोतरी हुई है। एकाएक मांग बढ़ने से गार्डों की आपूर्ति करने में दिक्कत हो रही है। प्रशिक्षित या काम के गार्ड की कीमत बढ़ गयी है। दसवीं पास प्रशिक्षित गार्ड को कम से कम 4500 रुपये तो बारहवीं पास सुपरवाइजर को 6000 रुपये प्रति माह देने पड़ते हैं।’ मबकौल चौहान, ‘इसका फायदा छोटी–मोटी सुरक्षा एजेंसियां खूब उठा रही है। वे कम पैसे लेकर भी केवल नाम के लिए सुरक्षा गार्डों को वहां भेज रहे हैं।’ सुरक्षा से जुड़े सामान तो इन दिनों हर होटल, मॉल, बैंक, बाजार, बड़ी दुकानें और यहां तक कि पूजा के पंडालों में भी लग रहे हैं। दिल्ली में लगभग सभी बड़े रामलीला पंडालों में सीसीटीवी लगाए गए हैं। सुरक्षा सामानों से जुड़े डिजिटल इंडिया के मार्केटिंग प्रमुख कहते हैं, ‘अभी तो जो कोई कंपनी इसका कारोबार करेगी, फायदे में रहेगी। सिक्योरिटी अलार्म से लेकर सीसीटीवी तक की मांग बढ़ चुकी हैं। बैंकों ने तो इस साल के लिए अपना सुरक्षा बजट बढ़ा दिया है। वे अपनी हर शाखा को सुरक्षा सामानों से लैस कर रहे हैं।’