डेटा सुरक्षा की सेवा प्रदाता सारो के एक सर्वे के मुताबिक 51 प्रतिशत से ज्यादा लोगों का मानना है कि आने वाला व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2019 अन्य वैश्विक निजता कानून जैसे जनरल डेटा प्रोटेक्शन रेगुलेशन, कैलिफोर्निया कंज्यूमर प्राइवेसी ऐक्ट और पर्सनल इन्फॉर्मेशन प्रोटेक्शन लॉ के मुताबिक है। सारो ने पीडीपी विधेयक से लोगों की उम्मीदों के बारे में कराए गए सर्वे के आंकड़े आज जारी किए हैं।
बहरहाल ज्यादातर हिस्सेदारों ने कहा है कि विधेयक में जीडीपीआर की तरह स्वतंत्र डेटा संरक्षण प्राधिकरण की व्यवस्था की जानी चाहिए। मसौदा विधेयक के मौजूदा प्रारूप में सरकार के बहुत ज्यादा हस्तक्षेप की अनुमति है और इस तरह यह संभावना कम है कि डीपीए का कामकाज स्वतंत्र होगा।
सर्वे में शामिल होने वालों से पूछा गया कि क्या वे संगठनों के डेटा के स्थानीयकरण के प्रस्तावित प्रावधानों से सहमत हैं, जो देश के बाहर से संचालन करती हैं, 70 प्रतिशत हिस्सेदार इस प्रावधान से सहमत थे।
93 प्रतिशत लोग सहमत थे कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को भारत के निजता कानूनों का पालन करना चाहिए। बहुसंख्य हिस्सेदारों का माना है कि अहम आंकड़ों की परिभाषा पर काम किए जाने की जरूरत है और 71 प्रतिशत हिस्सेदारों का मानना है कि अभी मौजूदा परिभाषा स्तरीय नहीं हैं।
पेंशनभोगियों को तकनीक से जीवन प्रमाणपत्र
सरकार ने पेंशनभोगियों के लिए ‘जीवन प्रमाणपत्र’ के एक प्रमाण के रूप में चेहरा पहचानने वाली ‘विशिष्ट’ तकनीक को सोमवार को पेश किया।
कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र्र सिंह ने यह खास तकनीक पेश करते हुए कहा कि इससे सेवानिवृत्त एवं बुजुर्ग पेंशनभोगियों को काफी सहूलियत होगी। चेहरा पहचानने वाली इस तकनीक की मदद से पेंशनधारकों के जीवित होने की पुष्टि की जा सकेगी। दरअसल, सभी पेंशनधारकों को साल के अंत में अपने जीवित होने का प्रमाणपत्र देना अनिवार्य होता है। इसके आधार पर ही उन्हें आगे पेंशन जारी रखी जाती है। सिंह ने कहा, ‘सरकार पेंशनभोगियों की जरूरतों को लेकर संवेदनशील रही है।’ भाषा