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दोगुनी कमाई से ज्यादा महत्वपूर्ण है पूंजी का संरक्षण

बीएस संवाददाता बीएस संवाददाता —December 14, 2021 11:39 PM IST
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बीएस बातचीत
पूरी दुनिया साल 2022 का स्वागत करने की तैयारी में है। ग्लूम, बूम ऐंड डूम रिपोर्ट के संपादक व प्रकाशक मार्क फेबर ने पुनीत वाधवा को दिए साक्षात्कार में बताया कि वित्तीय बाजारों में निवेशकों में कैसे जाना चाहिए। साथ ही अपनी निवेश रणनीति और भारतीय इक्विटी को लेकर आगे की राह पर उन्होंने विस्तार से बातचीत की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश…
साल 2021 में ज्यादातर समय वैश्विक इक्विटी बाजार गुलजार रहा। क्या इसी उत्साह से साल 2022 में उनका प्रदर्शन जारी रहेगा?
निवेशकों का उत्साह रातोंरात खत्म नहीं होगा। यह एक प्रक्रिया है, जिसमें वक्त लगता है और शायद भारत में यह थोड़े समय तक उच्चस्तर पर रहेगा। इसकी वजह यह है कि भारत दुनिया के चुनिंदा देशों में से एक है जिसकी अर्थव्यवस्था अवरोध के बावजूद आगे बढ़ रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था बाकी दुनिया की अर्थव्यवस्था से बेहतर प्रदर्शन कर सकती है, शेयर बाजार में बेहतरी जारी रहेगी, लेकिन वैसा प्रदर्शन नहींं होगा जैसा कि साल 2021 में रहा। वैश्विक स्तर पर बाजार में गिरावट की दरकार है। वैसे निवेशकों के बीच काफी आशावाद देखने को मिल रहै, जिनके पास कोई अनुभव नहीं है। उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी व उन कंपनियों में निवेश किया है जिसकी कोई आय नहीं है। यह अच्छे संकेत नहीं हैं।

इक्विटी, कमोडिटी और महंगाई – हर चीजें बढ़त की राह पर है। क्या एक या दो साल में निवेशकों के लिए काफी बुरी स्थिति में आ जाएगा?
अगर हम साल 2021 पर नजर डालें तो एक क्षेत्र जिसने बेहतर नहींं किया वह है गोल्ड शेयर, मेटल स्टॉक और वैल्यू स्टॉक। वैल्यू स्टॉक का प्रदर्शन पूरी दुनिया में कमजोर रहा है। अमेरिका में फेसबुक, अल्फाबेट, नेटफ्लिक्स और गूगल और इससे जुड़े अन्य शेयरोंं मसलन टेस्ला व सेमीकंडक्टर ने बेहतर प्रदर्शन किया है। हम ऐसे मोड़ पर हैं जहां निवेशकों की इन पसंदीदा शेयरों में हेज फंडों का भारांक काफी ज्यादा है। खास तौर से फेसबुक आदि का प्रदर्शन कमजोर होगा और रकम वैल्यू स्टॉक में शिफ्ट होगी। साल 2022 में यूरोप व एशिया का प्रदर्शन अमेरिका से बेहतर रहेगा।

फेड की नीति कितना बड़ा जोखिम है?
अमेरिकी फेडरल रिजर्व काफी बातें करता है। पश्चिमी केंद्रीय बैंक मूल रूप से मुद्रा छपाई करने वाला है। अमेरिकी ट्रेजरी सेक्रेटरी जेनेट येलन का मानना है कि महंगाई की वजह कोविड है। हालांकि मेरा मानना है कि मुद्रा छपाई के कारण महंगाई देखने को मिली है, न कि कोविड के कारण। अमेरिकी फेडरल रिजर्व व यूरोपीय सेंट्रल बैंक मुद्रा छाप रहे हैं। ऐसे में काफी नकदी है और यह लोगों को खर्च करने की इजाजत देता है, न कि काम करने की। सामान की आपूर्ति घटी है और मुद्रा की मात्रा बढ़ी है। मेरी राय में अमेरिकी फेडरल रिजर्व महंगाई से नहीं लड़ेगा। ईयू व यूएस में वास्तविक दर नकारात्मक है। ऐसे माहौल में महंगाई नहीं घटेगी। महंगाई घटाने के लिए अमेरिका में ब्याज दरें करीब 6 फीसदी होनी चाहिए।

आपकी निवेश रणनीति पिछले साल कैसी रही?
मेरी रणनीति विशाखन की रही है। मैं सटोरिया गतिविधियों से कमाई नहीं चाहता और मेरे पोर्टफोलियो मेंं वैल्यू स्टॉक है। मैं लाभांश वाले शेयर को प्राथमिकता देता हूं, इसलिए यूरोप में मेरे पास यूटिलिटीज है, एशिया में बैंक व तंबाकू कंपनियां है। साथ ही मेरे पोर्टफोलियो में संसाधन वाली फर्में हैं क्योंकि मेरा माना है कि जिंसों की कीमतें धराशायी नहीं होंगी। इसके अलावा पूरी दुनिया में मेरे पास रियल एस्टेट, कीमती धातु व तय आय वाली प्रतिभूतियां हैं।

क्या आपके पोर्टफोलियो में भारतीय प्रतिभूति है?
मेरे पोर्टफोलियो में भारतीय कंपनियों के कुछ बॉन्ड हैं। मेरा निवेश इंडियन एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों में है। हालांकि अभी भारत में कोई पोजीशन नहीं है। भारतीय बाजार फंडामेंटल के लिहाज से अच्छे हैं लेकिन काफी महंगे भी हैं – यानी एशिया में सबसे ज्यादा महंगा। मुझे अन्य एशियाई बाजारों में ज्यादा वैल्यू नजर आती है।

साल 2022 के लिए निवेशकों को आपकी क्या सलाह होगी?
रकम दोगुनी करने के बारे में सोचने से ज्यादा अहम बन गया है पूंजी का संरक्षण। हम अपनी रकम दोगुनी कर सकते हैं लेकिन उसके लिए हमें कैसिनो में खेलना होगा, जहां आप सबकुछ गंवा सकते हैं। जो भविष्य के लिए या अपने परिवार के लिए निवेश करना चाहते हैं उनके लिए विशाखन जरूरी है। इक्विटी, गोल्ड, रियल एस्टेट, फिक्स्ड इनकम, कमोडिटी और यहां तक कि क्रिप्टोकरेंसी में विशाखन होना चाहिए। विशाखन में विदेशी बाजारों में निवेश भी शामिल है।

ग्लूमनिवेश रणनीतिपूंजी संरक्षणबूम ऐंड डूम रिपोर्टमार्क फेबर
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