आज प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि गैर व्यक्तिगत आंकड़ों (एनपीडी) के लिए नियमन को स्पष्ट किए बिना इसे प्रस्तावित डेटा संरक्षण विधेयक 2021 (डीपीबी-21) में शामिल किया जाना ‘समय से पहले’ की कार्रवाई है।
‘नॉन पर्सनल डेटा 2.0’ नाम से आई रिपोर्ट में विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की सिफारिशों का विश्लेषण किया गया है। प्रमुख प्रस्तावित बदलावों में एनपीडी पर कानून बनाने के लिए सरकार को सक्षम बनाना और उल्लंघन की स्थिति में डेटा संरक्षण प्राधिकरण (डीपीए) को एनपीडी का प्रशासन लेने की अनुमति दिया जाना शामिल है।
कट्स इंटरनैशनल (कंज्यूमर यूनिटी ऐंड ट्रस्ट सोसाइटी) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब यह अनुमान लगाया जा रहा है कि विधेयक अंतिम चरण में है और इसे संसद में जल्द पेश किया जा सकता है।
मसौदा डीपीबी 21 की धारा 3 (28) में एनपीडी की वही परिभाषा दी गई है, जो पहले के मसौदे में थी। इसकी व्यापक आलोचना हुई थी और तमाम व्याख्याएं सामने आई थीं। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘इसमें हिस्सेदारों के साथ एक और परामर्श लिए जाने की जरूरत है, जिससे भारत को समर्पित व्यक्तिगत डेटा संरक्षण कानून हासिल करने में और देरी हो सकती है।’
इस रिपोर्ट में व्यक्तिगत डेटा और एनपीडी के लिए अलग ढांचा उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया है। इसमें एनपीडी के दायरे और परिभाषा को कम करने और विभिन्न श्रेणियों को पहचानने की भी सिफारिश की गई है।
