भारतीय वायुसेना ने देश में बने हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) को सोमवार को औपचारिक रूप से अपने बेड़े में शामिल कर लिया। रक्षा मंत्री ने इसे ‘प्रचंड’ नाम दिया है। इससे वायुसेना की ताकत में और वृद्धि होगी क्योंकि यह बहुपयोगी हेलीकॉप्टर कई तरह की मिसाइल दागने और हथियारों का इस्तेमाल करने में सक्षम है।
हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने इस विमान का डिजाइन तैयार किया है। इस हल्के लड़ाकू विमान को भारतीय वायुसेना की नवगठित 143 हेलीकॉप्टर यूनिट में शामिल किए जाने पर रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर इसे स्वदेशी डिजाइन, विकास और विनिर्माण में भारत की बढ़ती ताकत का प्रमाण और रक्षा में ‘आत्मनिर्भरता’ की दिशा में मील का पत्थर बताया है। इस साल मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीएस) ने स्वदेश में विकसित 15 एलसीएच को 3,887 करोड़ रुपये में खरीदने के लिए मंजूरी दी थी।
इसके अलावा सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 377 करोड़ रुपये के बुनियादी ढांचे के निर्माण को भी मंजूरी दी। इसे ऊंचाई वाले इलाकों में तैनात करने के लिए विशेष तौर पर डिजाइन किया गया है। 1999 के करगिल युद्ध के बाद ऐसे हेलीकॉप्टर की आवश्यकता महसूस की गई थी।
रक्षा मंत्रालय ने घोषणा करते हुए कहा, ‘लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर लिमिटेड सीरीज प्रोडक्शन (एलएसपी) देश में डिजाइन किए गए और बनाए गए अत्याधुनिक आधुनिक लड़ाकू हेलीकॉप्टर है, जिसमें वैल्यू के हिसाब से लगभग 45 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री है, जो एसपी (श्रृंखला उत्पादन) संस्करण को बेहतर बनाने पर बढ़कर 55 प्रतिशत से अधिक हो जाएगी।’
जोधपुर में मौजूद वायुसेना स्टेशन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तथा वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी. आर. चौधरी की उपस्थिति में चार हेलीकॉप्टर को वायुसेना के बेड़े में शामिल किया गया। हेलीकॉप्टर को ‘प्रचंड’ नाम देते हुए सिंह ने कहा कि यह रात और दिन दोनों ही समय में संचालन योग्य है, जिससे वायुसेना की युद्ध क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि यह लक्ष्य पर सटीक निशाना लगाने में सक्षम है।
वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वी आर चौधरी ने कहा कि एलसीएच के शामिल होने से भारतीय वायुसेना की लड़ाकू क्षमता में काफी इजाफा हुआ है और इसकी बहुमुखी और आक्रामक क्षमता वैश्विक स्तर पर संचालित होने वाले अधिकांश लड़ाकू हेलीकॉप्टरों के बराबर या उससे बेहतर है।
एचएएल के ध्रुव एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) का अनुसरण करने वाला प्रचंड, रक्षा सार्वजनिक सेवा उपक्रम (डीपीएसयू) का स्वदेशी बहुआयामी लड़ाकू हेलीकॉप्टर है जिसे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में संचालन के लिए बनाया जाएगा।
यह एलसीएच को देपसांग, गलवान और पैंगोंग त्सो के उत्तर और दक्षिण के ऊंचाई वाले क्षेत्रों जैसे कि 15,000-16,000 फुट ऊंचे क्षेत्रों में थल सेना के सैनिकों को आक्रमण करने के लिए एक उपयुक्त मंच देता है जहां भारतीय सैनिक चीन के घुसपैठियों का सामना कर रहे थे।
ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जहां ऑक्सीजन की कमी होती है वहां पैदल सेना लंबी दूरी तक भारी हथियार नहीं ले जा सकती है, लेकिन ऊंचाई से हमले करने वाला हेलीकॉप्टर उन्हें अपने ऑन-बोर्ड से 20-मिलीमीटर बुर्ज बंदूक, 70-मिलीमीटर रॉकेट और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों का उपयोग कर आक्रमण करने में मददगार साबित होगा। यह एक ऐंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) भी ले जा सकता है और आईएएफ इस पर भी जल्द ही फैसला करने वाला है।
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘यह एक महत्त्वपूर्ण क्षण है जो रक्षा उत्पादन में भारत की क्षमता को दर्शाता है।’ उन्होंने कहा, ‘भारतीय वायुसेना भारत की संप्रभुता की रक्षा करने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है और मुझे विश्वास है कि एलसीएच के शामिल होने के बाद इसकी समग्र क्षमता में और वृद्धि होगी।’ सिंह ने कहा, ‘हम कुछ घटनाक्रम के बाद देश के रक्षा उत्पादन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। देश की सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता रही है और हमेशा रहेगी।’
उन्होंने स्वदेश निर्मित हेलीकॉप्टर में भरोसा जताने के लिए वायुसेना की सराहना भी की। वहीं, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल चौधरी ने कहा कि इस एलसीएच की क्षमता वैश्विक स्तर पर अपनी श्रेणी के हेलीकॉप्टर के बराबर है। इस मौके पर एक सर्व-धर्म प्रार्थना सभा का भी आयोजन किया गया।
अधिकारियों ने बताया कि 5.8 टन वजन के और दो इंजन वाले इस हेलीकॉप्टर से पहले ही कई हथियारों के इस्तेमाल का परीक्षण किया जा चुका है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इनमें से 10 हेलीकॉप्टर वायुसेना के लिए और पांच थल सेना के लिए होंगे। अधिकारियों ने बताया कि एलसीएच और ‘एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर’ ध्रुव में कई समानताएं हैं। उन्होंने बताया कि इसमें कई विशेषताएं हैं जिनमें ‘स्टेल्थ’ (रडार से बचने की) खूबी के साथ ही बख्तरबंद सुरक्षा प्रणाली से लैस और रात को हमला करने व आपात स्थिति में सुरक्षित उतरने की क्षमता शामिल हैं। हेलीकॉप्टर को ऐसे समय में वायुसेना में शामिल किया गया है, जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में कुछ बिंदुओं पर सैन्य गतिरोध बरकरार है।