पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुंबई के तीन दिवसीय दौरे में शिवसेना नेताओं से मुलाकात के बाद राकांपा अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात कर भाजपा के खिलाफ राजनीतिक दलों को एकजुट करने की रणनीति पर चर्चा की। ममता ने कांग्रेस के नेताओं से मुलाकात नहीं करने के साथ यह कह कर सबको चौंका दिया कि अब कोई संप्रग नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उत्तर प्रदेश में वह चुनाव नहीं लड़ेंगी।
तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के संबंध में आई दूरी की पृष्ठभूमि में ममता शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेताओं से मिलने मुंबई की तीन दिवसीय यात्रा पर आई हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए ममता ने कहा, ‘राजनीति में निरंतर प्रयास आवश्यक है। आप हमेशा विदेश में नहीं रह सकते। मैंने कांग्रेस को सलाह दी थी कि विपक्ष को दिशा दिखाने के लिए सिविल सोसाइटी के प्रतिष्ठित लोगों की एक सलाहकार समिति गठित की जाए, लेकिन कुछ नहीं हुआ।’ ममता ने कहा कि भाजपा सुरक्षित नहीं है और देश को सुरक्षित रखने की जरूरत है। तीनों कृषि कानून वापस लिए गए और संसद में चर्चा की अनुमति नहीं दी गई, क्योंकि वे डरे हुए हैं, कृषि कानून निरस्त करने का फैसला उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
कांग्रेस के बिना गठबंधन होने की संभावना पर शरद पवार ने कहा कि भाजपा का विरोध करने वालों का साथ आने को लेकर स्वागत है। किसी को बाहर करने का सवाल ही नहीं है। हमने मौजूदा स्थिति और सभी समान विचारधारा वाले दलों को साथ आने और भाजपा का एक मजबूत विकल्प प्रदान करने की आवश्यकता पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि इस समय नेतृत्व कोई मुद्दा नहीं है। हमें एकजुट होकर भाजपा के खिलाफ काम करने की जरूरत है। पवार कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के अध्यक्ष बनने के सवाल पर ममता ने कहा कि अभी कोई संप्रग नहीं है।
ममता कुछ उद्योगपतियों से भी मुलाकात कर उन्हें पश्चिम बंगाल में निवेश करने के लिए आमंत्रित करेंगी।
ममता ने शिवसेना के नेता संजय राउत से भी भेंट की। उन्हें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से भी मिलना था, लेकिन वह सर्जरी के बाद स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं, इसलिए दोनों की मुलाकात नहीं हो पाई।
