प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज पंचायतों का आह्वान किया कि वे अपने अधिकार क्षेत्र के किसी एक गांव को प्राकृतिक खेती करने के लिए तैयार करें ताकि इसे एक जनआंदोलन में बदला जा सके।
अहमदाबाद में प्राकृतिक कृषि पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को आभासी तरीके से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि अब खेती को रसायन की प्रयोगशाला से निकालकर प्रकृति की प्रयोगशाला से जोडऩे का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि निवेशकों को भी प्राकृतिक कृषि के जरिये पैदा किए गए उत्पादों को प्रसंस्कृत करने पर विचार करना चाहिए क्योंकि यह भी इस दिशा में बढ़ाने का एक तरीका होगा।
केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि आने वाले समय में सहकारिता मंत्रालय देश भर में प्रयोगशालाओं का नेटवर्क स्थापित करेगा जहां पर प्राकृतिक खेती के लिए उपयुक्त जमीन की जांच होगी। इन प्रयोगशालाओं में उत्पाद के प्राकृतिक होने की भी जांच की जाएगी।
शाह ने कहा, ‘सरकार अगले दो वर्ष में जैविक और प्राकृतिक उत्पाद के लिए सहकारिता मंत्रालय के तहत एक मजबूत विपणन बुनियादी ढांचा तैयार करने की योजना बना रही है।’
इस बीच मोदी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि अब समय है कि उन गलतियों को सुधारा जाए जो कृषि का हिस्सा बन चुकी हैं।
उन्होंने कहा, ‘यह सही है कि रसायन और उर्वरक ने हरित क्रांति में अहम भूमिका निभाई है, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि हमें इसके विकल्पों पर भी साथ ही साथ काम करना होगा। इससे पहले खेती से जुड़ी समस्याएं भी विकराल हो जाएं, बड़े कदम उठाने का यह सही समय है। गुजराती कहावत है कि इलाज से परहेज बेहतर होता है।’
प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि खेती में उपयोग होने वाले खाद और कीटनाशक दुनिया के विभिन्न कोनों से अरबों-खरबों रुपये खर्च करके लाना होता है और इस वजह से खेती की लागत भी बढ़ती है, किसान का खर्च बढ़ता है और गरीब की रसोई भी महंगी होती है।
पराली जलाने का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि नया सीखने के साथ किसानों को उन गलतियों को भुलाना भी पड़ेगा जो खेती के तौर-तरीकों में आ गई हैं। उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों का मत है कि खेत में आग लगाने से धरती अपनी उपजाऊ क्षमता खोती जाती है। फसल के अवशेषों को जलाने की हमारे यहां परंपरा सी पड़ गई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों के बीच एक और भ्रांति है कि बिना रासायनिक उर्वरकों के उच्च पैदावार संभव नहीं है।
