डिब्बाबंद खाद्य एवं पेय कंपनियों और कारोबारियों काएक धड़ा भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की ओर से जारी नए नियमों को लेकर चिंतित है। उनका तर्क है कि स्कूलों के आसपास खाद्य एवं पेय की बिक्री के हाल में घोषित नियमों से विनिर्माताओं और विक्रेताओं पर असर पड़ेगा। ये नियम 1 जुलाई 2021 से लागू होंगे।
शीर्ष खाद्य नियामक ने हाल ही में कुछ नियम जारी किए हैं, जिनके मुताबिक अतिरिक्त नमक, चीनी और वसायुक्त उत्पादों को किसी स्कूल या शैक्षणिक संस्थान के 50 मीटर के दायरे में नहीं बेचा जा सकेगा। इसमें ज्यादा सैचुरेटेड फैट या ट्रांस-फैट या अतिरिक्त चीनी या सोडियम वाली खाद्य वस्तुओं की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया गया है। इससे आइसक्रीम, मिठाइयों, संरक्षित या डिब्बाबंद सब्जियों, मांस, मछली, दाल से बनी नमकीन, मूंगफली, व्हाइट ब्रेड और बिस्कुट की बिक्री पर प्रतिबंध लग जाएगा।
इसमें ऐसे खाद्य और पेय का स्कूल के आसपास किसी भी रूप में विज्ञापन देने पर भी प्रतिबंध लगाया गया है, जिसमें उत्पाद का विपणन, मुफ्त कूपन, स्कूल में आपूर्ति, शैक्षिक सामग्री, बोर्ड पर संकेत, खेल के मैदान या वेंडिग मशीनें शामिल हैं।
इसे लेकर विनिर्माताओं व विक्रेताओं ने चिंता जताई है। इसकी वजह से रोजमर्रा के इस्तेमाल के सामान बनाने वाली कंपनियों, हिंदुस्तान यूनीलिवर, नेस्ले, ब्रिटानिया से लेकर पेप्सिको और कोका कोला पर असर पड़ेगा।
कंपनियों को अभी अपना पक्ष रखना बाकी है, लेकिन सूत्रों ने कहा कि सभी प्रमुख खाद्य विनिर्माता वैकल्पिक योजना को अंतिम रूप देने पर चर्चा कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर ने पहले ही अतिरिक्त नमक, चीनी या वसा में कटौती करना शुरू कर दिया है और 2025 तक इसे घटाकर 10 से 25 प्रतिशत करने की पेशकश है।
बहरहाल कारोबारियों ने सरकार के सामने अपना पक्ष रखना शुरू कर दिया है। कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन को पत्र लिखकर नए नियम वापस लेने की मांग की है। उनका कहना है कि इससे लाखों कारोबारी प्रभावित होंगे और ‘उनका 75 प्रतिशत कारोबार खत्म हो जाएगा और हर साल 15 लाख करोड़ रुपये का कारोबार गंवाना पड़ेगा।’ इसके अलावा समय-समय पर जांच और वेंडरों की स्थानीय स्तर पर फूड इंस्पेक्टरों द्वारा निगरानी के प्रस्ताव का भी विरोध किया गया है। संगठन का तर्क है कि इससे कारोबारियों का उत्पीडऩ होगा और उनका कारोबार अव्यावहारिक हो जाएगा।
कैट ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल ऑन लोकल और आत्मनिर्भर भारत के अभियान के खिलाफ है। कैट के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल ने कहा, ‘छोटे और हाशिये पर खड़े कारोबारियों से रोजगार छीनना सरकारी अधिकारियों की संवेदनहीनता को दिखाता है। एफएसएसएआई एक निरंकुश निकाय है, जो कोई नियम या कानून लाने के पहले हिस्सेदारों से कभी बात नहीं करता।’
नैशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट वेंडर्स ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय समन्वयक अरविंद सिंह ने कहा कि अगर इससे छोटे वेंडरों का उत्पीडऩ होता है या उनका कारोबार प्रभावित होता है तो हम इस मसले को उठाएंगे। उन्होंने कहा कि हमने नए नियमों पर चर्चा की है और अभी देखो और इंतजार करो की नीति अपनाने का फैसला किया है
