प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को वैश्विक निवेशकों को भारत में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में कारोबार के लिए आमंत्रित करते हुए कहा कि देश इस क्षेत्र में तेजी से विकास कर रहा है और इसके लिए अनुकूल नीतियां बनाई गई हैं।
उन्होंने तीसरे वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा निवेश सम्मेलन और प्रदर्शनी (री-इनवेस्ट) के उद्घाटन सत्र को वीडियो कांफ्रेन्स के जरिए संबोधित करते हुए कहा, ‘भारत की अगले दशक में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में व्यापक स्तर पर विकास की योजना है। इससे सालाना करीब 20 अरब डॉलर के कारोबार की संभावनाएं सृजित होने की उम्मीद है।’
मोदी ने कहा, ‘आज भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता दुनिया में चौथी सबसे बड़ी क्षमता है, सभी बड़े देशों के मुकाबले इसमें तीव्र गति से वृद्धि हो रही है।’ उन्होंने कहा, भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता फिलहाल 1,36,000 मेगावाट है जो हमारी कुल क्षमता का 36 प्रतिशत है। हमारी नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता 2022 तक 2,20,000 मेगावाट होगी। मोदी ने कहा कि भारत ने इलेक्ट्रॉनिक्स सामान के विनिर्माण की तरह उच्च दक्षता के सौर मोड्यूल्स के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन देने का निर्णय किया है।
उन्होंने यह भी कहा कि भारत निवेश के लिहाज से तरजीही गंतव्य है। पिछले दशक में नवीकरणीय ऊर्जा में 5 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘भारत हर नागरिक के घर तक बिजली पहुंचाने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन क्षमता, नेटवर्क का विस्तार कर रहा है।
सस्ते विनिर्माण में चीन से आगे आएगा भारत!
मारुति सुजुकी इंडिया के चेयरमैन आर. सी. भार्गव ने बृहस्पतिवार को कहा कि यदि उद्योग और सरकार साथ मिलकर काम करें तो भारत सस्ती लागत के विनिर्माण में चीन को पीछे छोड़ सकता है। वह अखिल भारतीय प्रबंधन संघ (एआईएमए) के एक ऑनलाइन कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने भारतीय विनिर्माण क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने को लेकर अपने विचार रखे।
उन्होंने कहा, यदि सरकार और उद्योग साथ काम करें तो भारत के पास चीन से अधिक सस्ती लागत पर विनिर्माण करने की क्षमता है। भार्गव ने कहा कि सरकार की नीतियों का मूल उद्देश्य भारतीय उद्योगों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ाना होना चाहिए। इससे अपने आप ही दुनिया में सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता वाले कम लागत के उत्पाद बनाए जा सकेंगे। भाषा