देश के 11 राज्यों में ओमीक्रोन का आंकड़ा आज 101 पर पहुंच गया। ऐसे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि कोरोनावायरस के इस स्वरूप का देश में प्रसार व्यापक नहीं है, लेकिन यह समय देश के लिए चिंताजनक है। सरकार ने कहा कि अगर इस समय ब्रिटेन और फ्रांस जैसे कुछ यूरोपीय देशों में आ रहे मामलों की रफ्तार से भारत में भी मामले आए तो भारत में रोजाना 13 से 14 लाख मामले आ सकते हैं।
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने आज संवाददाताओं को बताया, ‘यूरोप में महामारी की नई लहर चल रही है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि यूरोप जैसी स्थिति भारत में न आए और हमें उसके जैसा प्रसार भारत में नजर नहीं आता। इसके विपरीत हमें इस स्थिति के लिए तैयार रहना चाहिए।’
ओमीक्रोन फैलने के कारण ब्रिटेन में बुधवार को अब तक के सबसे अधिक 78,000 मामले आए। सरकार यूरोप में आ रहे मामलों के स्वास्थ्य प्रणाली पर दबाव, अस्पताल में भर्ती होने की दर और बीमारी की गंभीरता पर नजर बनाए हुए है। इसने यह भी सलाह दी है कि अनावश्यक यात्रा से बचा जाना चाहिए और जश्न सीमित पैमाने पर सभी सतर्कता बरतते हुए मनाए जाने चाहिए।
स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा, ‘हमें अपनी बढ़त बनाए रखनी चाहिए। अब तक के सभी मामले यात्रा करने वाले व्यक्तियों या उनके संपर्क में आने वाले लोगों के हैं। हम उस स्थिति में नहीं हैं, जहां यह व्यापक पैमाने पर फैल रहा है।’ उन्होंने इस स्वरूप के समुदाय में फैलने से इनकार किया। ओमीक्रोन का स्वरूप 91 देशों में फैल चुका है। भारत में जिन 24 जिलों में जांच संक्रमण दर 5 फीसदी से अधिक है, उन्हें मामले घटने तक प्रतिबंधात्मक उपाय लागू करने चाहिए। पॉल ने कहा, ‘उभरती स्थितियों के लिए व्यापक तैयारी की जरूरत है। ये उपाय चलन से बाहर नहीं होंगे।’
पॉल से पूछा गया कि ऐसे समय जब विभिन्न देशों ने तीसरी खुराक लगाई है क्या भारत बूस्टर का फैसला लेने में देरी कर रहा है? इस पर उन्होंने कहा, ‘भरोसा रखिए। हमारे पास संसाधनों की कोई कमी नहीं है। इसलिए फैसला वैज्ञानिक अध्ययन पर लिया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि जब उचित सबूत और समय होगा, उस समय बूस्टर खुराक का विकल्प इस्तेमाल किया जाएगा। पॉल ने कहा कि नए स्वरूप के वास्तविक बोझ को चिह्नित करने की खातिर मॉडलिंग के लिए इस समय भारत में ओमीक्रोन के आंकड़ों का मूल्यांकन करना अपरिपक्व और वैज्ञानिक रूप से गलत होगा।
क्या हमें सभी पॉजिटिव मामलों के परीक्षण के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग में अहम बढ़ोतरी की जरूरत है? सरकार ने कहा है कि जीनोम सीक्वेंसिंग पर्याप्त रूप से की जा रही है और इसे एक निगरानी के तरीके के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए। पॉल ने कहा, ‘जीनोम सीक्वेंसिंग जांच का साधन नहीं है। हर व्यक्ति की जांच नहीं हो सकती।’ भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद भी कोविड के इलाज के लिए एंटीवायरल गोलियों के डेटा का विश्लेषण कर रही है, लेकिन उसे इसके इस्तेमाल की सिफारिश के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक सबूत नहीं मिले हैं।
