मंदी के कारण क्रेडिट की खस्ता हालत और आर्थिक विकास दर के कमजोर पड़ने से उत्तर भारत में उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री काफी घट गई है।
इस साल दिवाली के बाद इन वस्तुओं की कीमत में खासी गिरावट दर्ज की गई है। उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में गिरावट का प्रमुख कारण कीमतों में 3 से 4 फीसदी की बढ़ोतरी है। कुछ बड़े विनिर्माण क्षेत्रों में मंदी की जबरदस्त मार के कारण कीमतों मे इस तरह की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
क्रेडिट संकट और लगातार गहराती मंदी से अब कंपनियों ने मासिक किस्त यानी ईएमआई पर उत्पादों के ऑफर देने से भी हाथ खड़े कर दिए हैं। इससे उत्पादों की बिक्री पर जबरदस्त असर पड़ा है। उपभोक्ता वस्तुओं को बनाने वाली वोल्टास और वर्लपुल जैसी कंपनियों ने इस साल कारोबार की वृद्धि दर में कमी आने की बात कही है।
गौरतलब है कि सेनवेट में कमी के कारण व्हाइटगुड्स निर्माताओं का खोया विश्वास फिर से लौट सकता है। हालांकि इस कदम से कीमतों में कमी आने में कुछ समय लग सकता है।
कमोडिटी और इस्पात की कीमतों में जबरदस्त बढ़ोतरी के कारण मुनाफे में काफी गिरावट दर्ज की गई है और अब डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में आ रही गिरावट से आयात के और भी महंगा हो जाने से निर्माताओं का मानना है कि इसका असर निश्चित तौर पर उनके मुनाफे पर पड़ेगा।
इस बारे में वोल्टास यूनिटरी प्रोडक्ट्स बिजनेस ग्रुप के सूत्र का कहना है कि वैश्विक बाजार में आए जबरदस्त मंदी के कारण उत्तर भारत के बाजार में उपभोक्ता वस्तुओं की मांग और बिक्रियों पर जबरदस्त असर पड़ा है।
वोल्टास यूनिटरी प्रोडक्ट्स बिजनेस ग्रुप के एजीएम (नॉर्थ) एस सी पोपली ने कहा कि इस्पात और तांबे की कीमतों में कमी आने के बावजूद रुपये में जारी गिरावट ने नई मुसीबतें पैदा कर दी है। कंपनी ने इससे पहले अपने घरेलू उत्पादों की कीमतों में 3 से 5 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी।
पोपली ने माना कि यूटीलिटी उत्पादों पर मंदी के असर को साफ देखा जा सकता है। संस्थानों द्वारा खरीद के फैसले को टालने से बिक्री 10 से 15 प्रतिशत तक प्रभावित हुई है। इसी तरह व्हर्लपूल के अधिकारियों ने माना है कि अक्टूबर तक तो कंपनी ने बिक्री में धीमी वृद्धि दर्ज की है लेकिन अब मंदी का असर दिखाई देगा।
पहले लागत और अब बिक्री में कमी के कारण कंपनियां कीमतों में 3 से 5 प्रतिशत तक वृद्धि करने को मजबूर हुई हैं और अगर हालात में सुधार नहीं हुआ तो अगले साल की शुरुआत में एक और वृद्धि देखी जा सकती है।
मंदी के असर को दूर करने के बारे में पूछने पर अधिकारियों ने बताया कि परिचालन लागत को घटाने पर खासतौर से फोकस किया जा रहा है। इसके अलावा नया वेतनमान आने के बाद कंपनियां सरकारी कर्मचारियों को रिझाने की कोशिश कर रहीं हैं।
