किसी भी व्यक्ति की शारीरिक अक्षमता या अपंगता काम करने में या फिर उनकी आर्थिक स्वतंत्रता में ज्यादा बाधा नहीं बन सकती है अगर उनमें जज्बा हो तो सब कुछ मुमकिन है।
देश के कई जगहों पर ऐसे ही लोगों से सुंगंधित मोमबत्ती, माइक्रोवेब के असर से अछूते रहने वाले पत्तियों के प्लेट, कपड़े और गहने भी बनवाई जाती है। इन सामानों की बिक्री भी ऐसे जगहों पर होती है जिसका आमतौर पर लोगों को पता भी नहीं होता है।
अब ऐसे शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए एक खुशखबरी यह है कि उनके द्वारा बनाए गए सामानों को अब एक ब्रांड के तहत बेचा जाएगा।
इस ब्रांड को एक बड़े मार्केटिंग कॉरपोरेशन से जोड़ा जाएगा और शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के बनाए गए सामानों को भारत के साथ-साथ विदेशों में भी बेचा जाएगा।
इस हफ्ते पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, एसोसिएशन फॉर रिहैबिलिटेशन अंडर नेशनल ट्रस्ट इनीशिएटिव इन मार्केटिंग को लॉन्च करेंगे।
यह राष्ट्रीय ट्रस्ट के अंतर्गत एक स्वायत्त संगठन है जो दिमागी कमजोरी और मानसिक रोगों से ग्रस्त लोगों की सेवा के लिए काम करती है। यह ट्रस्ट सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत काम करेगी।
यह ट्रस्ट ही शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के बनाए हुए सामानों को बेचेगी और उनके लिए बाजार में एक जगह बनाने का काम करेगी।
ऐसे कदमों से प्रेरित होते हुए वह कंपनियां भी इसमें शामिल होने की कोशिश करेंगी जो कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए कुछ करना चाहती हैं।
इस ट्रस्ट के पास अपने काम को अंजाम देने के लिए 1 करोड़ रुपये की राशि है। इसकी अध्यक्ष है स्मिनू जिंदल जो जिंदल सॉ और एक गैर सरकारी संगठन(एनजीओ) ‘स्वयं’ की भी प्रमुख है।
उनका कहना है, ‘हम जल्दी ही एक शोर्धकत्ता या कंसंल्टेंट को नियुक्त करेंगे जो राष्ट्रीय ट्रस्ट के 800 एनजीओ सदस्यों से मिले सामानों की परखेंगे।’ इससे यही अंदाजा लग रहा है कि यह ट्रस्ट एक बड़े कोऑपरेटिव नेटवर्क की तरह शुरू से काम कर रही है।
जिंदल का कहना है, ‘यह रिसर्च सामानों में मौजूद खामियों को समझा जाएं और उनके लिए प्राथमिकताएं तय की जाएं। दूसरी बात यह है कि इस ट्रस्ट को उसके काम में ज्यादा से ज्यादा सहयोग मिल सके।
कई कंपनियां शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए कम ही सही पर काम जरूर कर रही हैं लेकिन उसका असर ज्यादा नजर नहीं आता क्योंकि उनके अंदर उतना उत्साह नहीं होता है।
हम पूरी तरह से इसे कारोबारी रूप देना चाहते हैं और कई निर्मार्णकत्ताओ को एक सामान के अलावा दूसरे सामान बनाने को भी प्रेरित करेंगे और प्रशिक्षण के इंतजाम भी करेंगे।’
उनका कहना है कि 800 एनजीओ के सामान के अलावा यह ट्रस्ट और भी लोगों से उनके सामान को लेकर काम करेगी। वह इस पहल के लिए राष्ट्रीय ट्रस्ट की अध्यक्ष पूनम नटराजन की कोशिशों को भी जिम्मेदार मानती हैं।
