उत्तराखंड में छठे वेतन आयोग की तर्ज पर एरियर भुगतान नहीं कर पाने की खबर के महज एक दिन बाद ही उत्तर प्रदेश में भी संशोधित वेतनमान पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों के लिए नए वेतनमान देने की घोषणा के बाद अब माया सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती संसाधन जुटाने की है, जोकि टेढ़ी खीर साबित होने वाली है। यही नहीं, राजस्व वृध्दि का अपेक्षित लक्ष्य न प्राप्त हो पाना भी सरकार की पेशानी पर बल डालने के लिए काफी है।
बुधवार को एक बार फिर राज्य सरकार ने कहा कि कर्मचारियों को संशोधित वेतनमान जनवरी से दिया जाएगा, वहीं अधिकारियों ने अतिरिक्त राजस्व जुटाने की कवायद भी शुरू कर दी है। छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने के बाद उत्तर प्रदेश के खजाने पर 5189 करोड़ रुपये का सालाना अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इसमें पेंशन के मद में दी जाने वाली रकम भी शामिल है।
हालांकि छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने की घोषणा के साथ ही माया सरकार ने केंद्र से सहायता के रूप में पैसों की मांग की थी, लेकिन राज्य और केंद्र के संबंधों को देखते हुए इसकी संभावना कम ही लगती है।
राज्य सरकार को अपने कर्मचारियों के लिए एरियर (बकाया भुगतान) के रूप में भी 11051 करोड़ रुपये का भुगतान करना होगा। साथ ही राज्य सरकार के पेंशनरों के लिए भी एरियर के तौर पर करीब 3724 करोड़ रुपये जुटाने होंगे।
नए वेतन के लिए अतिरिक्त संसाधन जुटाने की कवायद में अब उत्तर प्रदेश सरकार ने विशेष आर्थिक कर लगाने संबंधी प्रस्ताव तैयार किया है। इसके लिए व्यापारियों को सरकार ने राजी करने का काम शुरू किया है। हालांकि व्यापारी इसको मानने को राजी नही हैं।
इस कर के तहत सरकार जहां कुछ चीजों पर वैट की दर को कम करने के व्यापारियों के अनुरोध को मान रही है, पर इसके साथ ज्यादातर चीजों पर 1-2 फीसदी का विशेष आर्थिक कर लगा रही है। सरकार को आशा है कि इस नए टैक्स से करीब 1800 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आय होगी।
अभी राज्य सरकार का वैट के जरिए कुल 20,555 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने का लक्ष्य है, जो कि कर वसूली की धीमी प्रगति को देखते हुए पूरा हो पाना संभव नहीं दिखता है। अनुमान के मुताबिक, हर महीने सरकार के तय लक्ष्य से 20 फीसदी कम की राजस्व वसूली वैट के जरिए की जा रही है।
राज्य सरकार के नए प्रस्तावित कर से भी व्यापारी खुश नहीं हैं। वैट को कम करने की मांग पर कायम रहते हुए लगभग सभी व्यापारी नेताओं ने साफ कर दिया है कि कोई भी नया कर स्वीकार्य नहीं होगा।
व्यापारी नेता बनवारी लाल कंछल ने कहा है कि पहले से ही सरकार ने इंपावर्ड कमेटी की वैट दर से ज्यादा का कर 125 के लगभग चीजों पर लगा रखा है, जिसे कम कर जनता को राहत देनी चाहिए। उनका कहना है कि प्रदेश की जनता किसी भी नए कर के लिए तैयार नहीं है।
राज्य में छठे वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए बनी एसएटी रिजवी की समिति ने जनवरी से राज्य कर्मचारियों को जनवरी से नया वेतनमान देने संबंधी रिपोर्ट तैयार कर ली है।
उत्तर प्रदेश में भी संशोधित वेतनमान के भुगतान पर मंडराया संकट
प्रदेश सरकार के खजाने पर 5189 करोड़ रुपये का सालाना बोझ बढ़ेगा
राजस्व प्राप्ति के लिए राज्य सरकार नए कर लगाने की बना रही है योजना
व्यापारी कर रहे सरकार की इस पहल का विरोध
आय और व्यय का लेखा-जोखा
कुल बोझ (वेतन और एरियर) – 11051
पेंशन एरियर – 3724
वेतन वृध्दि – 3789
पेंशन वृध्दि – 1400
वैट से राजस्व का लक्ष्य – 20555
प्रस्तावित नए कर से राजस्व लक्ष्य – 1800
रुपये करोड़ में