उत्तर प्रदेश की मुखिया मायावती ने बिना मांगे भले ही राज्य कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग के अनुरूप वेतन संशोधित करने की घोषणा कर दी हो, लेकिन राज्य कर्मियों का बड़ा तबका इससे खुश नहीं है।
खास तौर पर चौथे और तीसरे दर्जे के कर्मचारी तो कतई खुश नहीं हैं। साथ ही राज्य के 43 में से 35 निगमों के कर्मी, जो अब तक चौथे वेतन आयोग से ही काम चला रहे हैं, वे भी नाखुश नजर आ रहे हैं।
मायावती सरकार की इस घोषणा से सबसे ज्यादा खुश सचिवालय के कर्मचारी हैं। उत्तर प्रदेश सचिवालय संघ के हरिशरण मिश्रा तो इस ऐलान से इतने गद्गद् हैं कि उनका कहना है कि बिना किसी सामिति के गठन के छठे केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को जस का तस मान लेना चाहिए।
संघ ने मायावती का सार्वजनिक अभिनंदन करने की घोषणा की है। दूसरी ओर, उत्तर प्रदेश चतुर्थ श्रेणी राज्य कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष रामराज दुबे का कहना है कि भीषण महंगाई के इस दौर में न्यूनतम वेतन 7000 और अधिकतम वेतन 90000 का अंतर करके असमानता ला दी गई है।
उनका कहना है कि अगर केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को जस का तस मान लिया गया, तो प्रदेश के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों का कुछ भी भला नहीं होगा। उनका कहना है कि उत्तर प्रदेश में अकेले चतुर्थ श्रेणी के 6 और तीसरी श्रेणी के पांच वेतनमान उत्तर प्रदेश में लागू हैं, जिन्हें कम किया जाना चाहिए।
इसके अलावा उत्तर प्रदेश में क्लास टू अफसरों के वेतन के 11 स्लैब हैं। जगमोहन लाल बजाज कमेटी को उत्तर प्रदेश में अपनी रिपोर्ट तैयार करते समय इन बातों का ध्यान रखना होगा। इसके अलावा, प्रदेश के अधिकतर निगमों में काम करने वाले कर्मचारी अभी भी पांचवा वेतनमान पाने की लड़ाई लड़ रहे हैं।
राज्य में केवल जल निगम, आवास विकास, परिवहन निगम, वन निगम, राजकीय निर्माण निगम, राज्य भंडारागार निगम, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सेतु निगम के कर्मचारियों को ही पांचवां वेतनमान मिला है। चलचित्र निगम, आचार्य नरेंद्र देव शोध संस्थान, सिंधी अकादमी, अयोध्या शोध संस्थान, पोल्ट्री कॉरपोरेशन सहित कई संस्थानों में अभी भी तीसरा वेतनमान ही मिल रहा है।
शायद इसी के चलते मायावती की इस घोषणा के बाद निगम कर्मचारियों ने किसी तरह का कोई उत्साह नहीं दिखाया है। उनका कहना है कि सरकार को पहल कर उन्हें कम से कम पांचवा वेतनमान दिलाना चाहिए। इसी के साथ प्रदेश भर के प्ाथमिक शिक्षकों में भी रोष है। उनका कहना है कि बड़ी तादाद में होने के बावजूद सरकार उन्हें कम से कम नया वेतनमान देने में 7-8 साल लगा देती है। इस बार भी प्राथमिक शिक्षक सभी राज्य कर्मचारियों की तरह अपने लिए भी सही समय पर पर छठे वेतन मान के लाभ दिए जाने की मांग कर रहे हैं।
राज्य में 35 निगमों के कर्मचारी चौथे वेतन आयोग से चला रहे हैं काम
संशोधित वेतनमान से सचिवालय कर्मियों को होगा सबसे ज्यादा फायदा
राज्य में विभिन्न वेतनमानों से हो रही परेशानी
चतुर्थ श्रेणी के 6, जबकि तृतीय श्रेणी के 5 वेतनमान हैं लागू