मंगलवार को अनूप चंद्र पांडेय के नए चुनाव आयुक्त नियुक्त किए जाने के बाद भारतीय निर्वाचन आयोग (ईसीआई) में प्रतिनिधित्व के लिहाज से एक बड़ा बदलाव आएगा। 62 वर्षीय पांडेय की नियुक्ति के बाद बाद आयोग में अब तीनों आयुक्त उत्तर भारतीय हो गए हैं, जो अभूतपूर्व है। इनमें दो तो उत्तर प्रदेश के अगल-बगल के जिलों से ताल्लुक रखते हैं। पांडेय उत्तर प्रदेश कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के 1984 बैच के अधिकारी हैं और सेवानिवृत्त हो चुके थे। उन्हें सरकार ने वापस बुलाया गया है। वर्ष 2019 में सेवानिवृत्ति से पहले पांडेय को उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव के रूप में छह महीने का कार्य विस्तार मिला था। उन्हें सेवा विस्तार दिए जाने वाले दस्तावेज आनन फानन में महज 24 घंटों में तैयार कर लिए गए थे। वहीं, केंद्र सरकार को ओ पी सिंह को उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक के पद पर नियुक्त करने के उत्तर प्रदेश सरकार के प्रस्ताव पर हामी भरने में करीब एक महीना लग गया था।
अपने पिछले कार्यकाल के दौरान पांडेय ने राज्य से अपराधियों का सफाया करने में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निश्चय में बखूबी साथ दिया। उनके मुख्य सचिव रहते राज्य में कुंभ मेला और प्रवासी भारतीय दिवस आयोजित किए गए थे।
निर्वाचन आयोग में चुनाव आयुक्तों को औसतन ढाई वर्षों का कार्यकाल देने की परंपरा केंद्र ने बरकरार रखी है। वर्ष 2015 से राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार आयोग में चुनाव आयुक्तों को ढाई वर्ष का कार्यकाल दे रही है। इससे पहले चुनाव आयुक्तों का कार्यकाल अमूमन पांच वर्षों का हुआ करता था। लंबे समय तक कार्य करने से उन्हें देश में विभिन्न चुनाव कराने के मौके मिलते थे जिससे उन्हें अधिक तजुर्बा भी हासिल होता था। एक पूर्व चुनाव आयुक्त ने कहा, ‘वर्ष 2015 तक मोटे तौर पर हरेक चुनाव आयुक्त को मुख्य निर्वाचन आयुक्त बनने का समय मिल जाता था। हालांकि पी एल ब्रह्मा के सेवानिवृत्त होने के बाद आयुक्तों कार्यकाल अपेक्षाकृत छोटा हो गया है।’
पिछले छह वर्षों से भी कम समय में सात नए चुनाव आयुक्त कमान संभाल चुके हैं। चुनाव कराने के लिहाज से पांडेय के सामने कोई विशेष चुनौती नहीं होगी। हालांकि उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव सबसे महत्त्वपूर्ण होगा। इसके बाद गोवा, गुजरात और पंजाब, पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों और कर्नाटक जैसे छोटे राज्यों में चुनाव होने वाले हैं। अगले आम चुनाव से पहले फरवरी 2024 में उनका कार्यकाल समाप्त हो जाएगा। हालांकि निर्वाचन आयोग में क्षेत्रवार प्रतिनिधित्व एक चिंता का विषय हो सकता है। मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्र चंदौसी से आते हैं और चुनाव आयुक्त राजीव कुमार अमरोहा से ताल्लुक रखते हैं। ये दोनों जिले अगल-बगल ही हैं। पांडेय ने अपने कार्यकारी जीवन का तीन दशकों से अधिक हिस्सा उत्तर प्रदेश में बिताया है। पहले चुनाव आयोग में जी वी जी कृष्णमूर्ति, जेम्स माइकल लिंगदोह, आर पेरी शास्त्री, एच एस ब्रह्मा और वी एस संपत जैसे लोग थे जिन्होंने भारत के सभी हिस्सों का प्रतिनिधित्व किया था। इस बार निर्वाचन आयोग के तीनों सदस्य (मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त) उत्तर भारतीय हैं।
