इस्पात की बढ़ती कीमतों के खिलाफ आवाज तेज होने लगी हैं। ऐसे में जेएसडब्ल्यू स्टील ने सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यमों (एमएसएमई) के लिए अलग सेवाएं शुरू की हैं, जिनमें अलग कीमत भी शामिल है।
जेएसडब्ल्यू स्टील तरजीही कीमत के अलावा गुणवत्ता एवं उपलब्धता सुनिश्चित करेगी। जेएसडब्ल्यू स्टील के निदेशक (वाणिज्यिक एवं विपणन) जयंत आचार्य ने कहा, ‘उत्पादों की सही कीमत, तत्काल आपूर्ति और तरजीही अंतरराष्ट्रीय कीमतों से एमएसएमई अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा कर पाएंगे।’
जेएसडब्ल्यू स्टील ने एक साइट शुरू की है, जहां एमएसएमई खुद को पंजीकृत कर सकते हैं। आचार्य ने कहा कि जब आपूर्ति का अनुमान लगाया जा सकता है तो अंतरराष्ट्रीय कारोबार में भागीदारी की क्षमता काफी बेहतर हो जाती है।
जेएसडब्ल्यू का मानना है कि इस उचित प्रकार की मदद से यह दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद स्थिति होगी। इस समय जेएसडब्ल्यू की 22 से 25 फीसदी आपूर्ति एमएसएमई को होती है, जिसमें आगे और बढ़ोतरी होगी। एमएसएमई के लिए उचित आपूर्ति शृंखला और कीमत लाभ से उसे निर्यात बाजार में अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी। आम तौर पर एमएसएमई स्थानीय बाजार कीमतों पर स्थानीय डीलर से खरीद करते हैं। आचार्य ने कहा, ‘हमने अंतरराष्ट्रीय कीमत प्रणाली शुरू की है और एमएसएमई के लिए कीमतें इसके हिसाब से तय की जाएंगी।’
अगस्त से इस्पात की कीमतों में बढ़ोतरी उपयोगकर्ता उद्योगों के लिए विवादास्पद मुद्दा रहा है। ईईपीसी इंडिया ने हाल में कहा कि इस्पात की कीमतों में भारी बढ़ोतरी का इंजीनियरिंग निर्यात पर प्रतिकूल असर पड़ा है। विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में कोविड-19 महामारी की वजह से इंजीनियरिंग निर्यात को वैश्विक बाजारों में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। अगस्त से हॉट रोल्ड कोइल (एचआरसी) की कीमतें करीब 8,000 से 8,500 रुपये प्रति टन तक बढ़ चुकी हैं। हॉट रोल्ड कोइल को फ्लैट इस्पात की कीमतों का बेंचमार्क माना जाता है, जिसकी कीमतें इस समय करीब 46,000 रुपये प्रति टन हैं।
हालांकि आचार्य ने कहा कि इस्पात एक चक्रीय उद्योग है। उन्होंने कहा, ‘ये कीमतें वैश्विक इस्पात कीमतों को दर्शाती हैं। इस समय इस्पात की कीमतों पर लौह अयस्क की कीमतों का भी असर पड़ रहा है। वैश्विक स्तर पर लौह अयस्क के दाम ऊंचे हैं और घरेलू बाजार में भी पिछले कुछ महीनों के दौरान कीमतें काफी बढ़ी हैं।’ घरेलू बाजार में उपलब्धता को लेकर चिंताओं के कारण लौह अयस्क के दाम ऊंचे बने हुए हैं। ओडिशा में करीब 19 खदानों की नीलामी हुई थी, जिनमें से पांच चल रही हैं और शेष में अभी उत्पादन शुरू नहीं हुआ है।
आचार्य ने कहा, ‘हमने कहा है कि यह लौह अयस्क उपलब्ध कराया जाए ताकि उपलब्धता प्रभावित नहीं हो।’
सरकार लौह अयस्क की उपलब्धता से संबंधित समस्याओं को दूर करने के तरीकों के बारे में विचार कर रही है। केंद्रीय इस्पात मंत्री धमेंद्र प्रधान ने हाल में एक कार्यक्रम में कहा था कि लौह अयस्क खदानों में नीतिगत दखल से आपूर्ति शृंखला में अवरोध को दूर किया जा सकता है। हालांकि इस्पात की कीमतों को लेकर उन्होंने कहा कि इस्पात की कीमतें बाजार समीकरणों पर आधारित हैं और मुक्त बाजार में दखल नहीं देगी।
