सरकार मॉरिशस के रास्ते आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रस्तावों पर विराम लगा सकती है।
इसकी वजह भारत के साथ मॉरिशस की दोहरा कराधान टालने वाली संधि की समीक्षा लंबित होना है। पिछले हफ्ते राजस्व विभाग ने जापान टोबैको इंटरनेशनल (जेटीआईएल) मॉरिशस प्राइवेट लिमिटेड के प्रस्ताव को खारिज कर दिया।
ये कंपनी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी तंबाकू कंपनी जेटीआईएल का हिस्सा है। इसके जरिये भारत के उद्यम में हिस्सा 50 से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करना था। आधार यह बनाया गया कि यह प्रस्ताव ‘संधि व्यापार’ (ट्रीटी शॉपिंग) में आता है। ट्रीटी शॉपिंग मॉरिशस जैसे देशों के जरिये कंपनियों की ओर से किए जाने वाले निवेश को कहा जाता है।
मॉरिशस का भारत के साथ अनुकूल कर समझौता है। इस मामले में जेटीआई मॉरिशस भारत की सहायक कंपनी जेटीआई इंडिया में 10 करोड़ डॉलर निवेश करना चाहती है और साथ ही भारतीय कंपनी में अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने की उसकी योजना है।
वित्त मंत्रालय की ओर से विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) को जारी पत्र में विभाग ने कहा है कि अगर जेटीआईएल मॉरिशस के जरिये जेटीआईएल के विदेशी निवेश प्रस्ताव को माना जाता है तो जेटीआई मॉरिशस द्वारा शेयरों को हस्तांतरित करने पर भविष्य में पूंजी लाभ पर कंपनी को कर नहीं चुकाना होगा। क्योंकि भारत-मारिशस के बीच दोहरा कराधान टालने का समझौता है। इस पत्र में कहा गया है, ‘सरकार इस संधि को संशोधित करने की लगातार कोशिश कर रही है।
इस संधि में ट्रीटी शॉपिंग के कारण अच्छा-खासा राजस्व का नुकसान हो रहा है।’ पत्र में कहा गया है, ‘एफआईपीबी के रास्ते ट्रीटी शॉपिंग के इस तरह के मामलों को मंजूरी का मतलब होगा ट्रीटी शॉपिंग को खामोशी से स्वीकार कर लेना है। इससे मॉरिशस सरकार को भी परस्पर विरोधी संकेत जा सकते हैं, जिसके साथ कि सरकार पिछले कई सालों से संधि को संशोधित करने की बात उठा रही है।’