एक वायरल वीडियो में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की ही एक नई इमारत के पूरा होने में हुई देरी के लिए फटकार लगा रहे हैं जिससे इस संस्था के कामकाज पर सवालिया निशान लगे हैं। हालांकि, सरकारी इंजीनियरों पर आमतौर पर अक्षम और भ्रष्ट होने का आरोप लगाया जाता है लेकिन गडकरी की आलोचना के केंद्र में फैसला लेने में देरी और निगरानी की कमी जैसी अहम बात थी। हालांकि कुछ अधिकारियों ने महत्त्वाकांक्षी ठेकेदारों को देरी के लिए दोषी ठहराया। एक अधिकारी ने कहा, ‘जब देरी होती है तब अधिकारी फैसले नहीं लेना चाहते क्योंकि उन्हें डर होता है कि भ्रष्टाचार के आरोप लगाए जा सकते हैं।’
पूर्व सड़क सचिव विजय छिब्बर ने कुछ समय के लिए एनएचएआई का नेतृत्व भी किया था। वह गडकरी की इस आलोचना से सहमत हैं। छिब्बर ने कहा, ‘गडकरी का एनएचएआई की आलोचना करना सही है क्योंकि मैंने भी ऐसा ही अनुभव किया है। एक इमारत को पूरा करने में एक दशक से अधिक समय क्यों लगना चाहिए?’
मंत्री ने भी कहा, ‘आप (एनएचएआई) ठेकेदारों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं लेकिन कभी भी परियोजना निदेशकों और स्वतंत्र इंजीनियरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते।’ वह दिल्ली के द्वारका में एनएचएआई के नए भवन का उद्घाटन वर्चुअल तरीके से कर रहे थे जिसे पूरा होने में नौ साल लग गए।
मंत्री ने कहा कि देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की तस्वीरों को इमारत में प्रदर्शित किया जाना चाहिए ताकि लोगों को उन महान हस्तियों के बारे में पता चले जिन्हें एक इमारत बनाने में नौ साल लग गए। मंत्री ने कहा कि उन्हें एनएचएआई के अधिकारियों द्वारा फैसला लेने में देरी पर शर्म आ रही है जिनकी वजह से इसकी लागत बढ़ी और वह चाहते हैं कि प्राधिकरण पारदर्शी, समयबद्ध, बेहतर गुणवत्ता वाले काम के नतीजे देने के साथ भ्रष्टाचार मुक्त तरीके से काम करे। मंत्री ने एनएचएआई के कामकाज में दक्षता लाने को लेकर तत्कालीन संयुक्त सचिव लीना नंदन द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट का भी हवाला दिया। इस मामले की जानकारी रखने वाले एक अधिकारी ने कहा, ‘ऐसा पाया गया कि फैसला लेने की प्रक्रिया कुछ लोगों के इर्द-गिर्द घूमती है जो ज्यादा देरी का कारण बना। विचार यह है कि ज्यादा दक्षता लाने के लिए शक्तियां सौंपी जाएं।’
जब राजमार्ग निर्माण की बात आती है तब कभी-कभार वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की ओर से भी देरी होती है। नाम न छापने का अनुरोध करने वाले एक अधिकारी ने बताया, ‘जब हम परियोजना की मंजूरी के लिए उनके पास जाते हैं तो वे अपनी मंजूरी में भी आगे नहीं आते। हम इस प्रक्रिया को कारगर बनाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि परियोजना के क्रियान्वयन में कोई नुकसान न हो।’
एनएचएआई के पूर्व अध्यक्ष राघव चंद्रा ने राजमार्ग निर्माण में देरी के लिए ठेकेदारों को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा, ‘अक्षम ठेकेदार जितना चबाने की क्षमता रखते हैं उससे कहीं अधिक खाना चाहते हैं और उन्होंने पहले भी एनएचएआई के लिए समस्या खड़ी की है। 2010-2015 के दौरान, कई कंपनियों ने बीओटी (बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर) परियोजनाओं के लिए बोली लगाई लेकिन उन परियोजनाओं के लिए जुटाए गए धन को कहीं और लगा दिया गया। इससे इस क्षेत्र को काफी नुकसान हुआ।’
चंद्रा ने यह भी कहा कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में देरी कंपनियों के सामने आने वाली चुनौतियों में से एक है। वह कहते हैं, ‘कुछ परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण समय पर नहीं हुआ और इसलिए देरी हो गई लेकिन मुख्य रूप से राज्यों को ऐसा करना होगा। जब तक ठेकेदारों, केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर तालमेल नहीं बैठता तब तक चीजें कुशलता से नहीं हो सकती हैं।’
