उद्योगपतियों महिंद्रा गु्रप के चेयरमैन आनंद महिंद्रा और भारती एंटरप्राइजेज के चेयरमैन सुनील मित्तल ने सरकार से ऐसी संरचनाएं और प्रणालियां एवं नीतियां तैयार किए जाने का अनुरोध किया है जो निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ अंतरिक्ष क्षेत्र के विकास में सक्षम हों।
इस बीच, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अधिकारियों ने कहा है कि अंतरिक्ष गतिविधि विधेयक, नई नैविगेशन नीति, सैटेलाइट और रिमोट सेंसिंग नीतियां निर्णायक चरणों में हैं और इनसे निजी क्षेत्र की कंपनियों को योजना और रणनीतियां बनाने में मदद मिलगी।
गुरुवार को ‘अनलॉकिंग इंडियाज पोटेंशियल इन स्पेस सेक्टर’ विषय पर आयोजित वेबिनार में बोलते हुए महिंद्रा ने कहा कि भारत को अब अंतरिक्ष खोज राष्ट्र से स्पेस फेरिंग नेशन यानी अंतरिक्ष क्षेत्र में स्वतंत्र तौर पर निर्माण की क्षमता वाले देश की दिशा में आगे बढऩा चाहिए।
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र के वैश्विक तौर पर वर्ष 2045 तक बढ़कर 3.3 लाख करोड़ डॉलर पर पहुंच जाने की संभावना है, जो 2018 में 350 अरब डॉलर का था। इसमें भारत की भागीदारी बेहद कम है। सार्वजनिक, निजी भागीदारी से भारत को भागीदारी बढ़ाने और देश को ‘स्पेस फेरिंग राष्ट्र’ बनाने में मदद मिलेगी। महिंद्रा ने कहा, ‘हम अंतरिक्ष के वाणिज्यिकरण के महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं। भारत बड़े अवसर की संभावना देख रहा है।’
महिंद्रा ने सरकार से नई नीतियों, वित्तीय समर्थन, प्रोत्साहन आदि के जरिये ऐसी संरचनाएं और प्रणालियां बनाए जाने का अनुरोध किया है जो पहले नहीं थीं। मित्तल ने कहा, ‘हमें सतर्क नीतियां बनानी चाहिए, लेकिन देश की सुरक्षा, विदेश नीति के संदर्भ में बेहद मजबूत नीति जरूरी है और इनमें से कुछ दिशा-निर्देश स्पष्ट किए जाने चाहिए जिससे कि निजी क्षेत्र के भागीदार यह समझ सकें कि वे संपूर्ण नीतिगत ढांचे में किस तरह से परिचालन कर सकेंगे।’
