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वायुसेना के तरकश में नया तीर

Last Updated- December 15, 2022 | 2:20 AM IST

लद्दाख में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) यानी चीन की सेना की घुसपैठ के बाद युद्ध की आशंका के बीच वहां भारतीय वायु सेना (आईएएफ ) तैयार की गई जिसके तरकश में गुरुवार को एक नया और अहम तीर जुड़ गया है। भारतीय वायुसेना ने 36 राफेल लड़ाकू विमानों के लिए फ्रांस की कंपनी दसॉ एविएशन के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे और इसके चार वर्षों के बाद 5 राफेल को औपचारिक तौर पर भारतीय वायुसेना के अंबाला में मौजूद 17 स्क्वॉड्रन गोल्डन एरोज में गुरुवार को शामिल कर लिया गया। अगले आठ महीनों में 13 और साल 2022 तक सभी 36 राफेल लड़ाकू विमान भारत आ जाएंगे।
अंबाला के एयरफ ोर्स स्टेशन में गोल्डन एरोज 1 अक्टूबर, 1951 में अस्तित्व में आया और इसने कई चीजें पहली बार होने का श्रेय लिया है। 1955 में यह भारतीय वायुसेना की पहली स्क्वॉड्रन बन गई जिसने जेट लड़ाकू विमानों, ब्रिटेन के मशहूर जेट लड़ाकू विमान डी हैविलैंड वैंपायर को उड़ाया। अगस्त 1957 में यह स्क्वॉड्रन पहला था जो हॉकर हंटर में परिवर्तित हुआ। इसका आखिरी विमान मिग-21 साल 2016 में सेवानिवृत हुआ जिसे 1999 में कारगिल युद्ध में विशिष्टता के साथ उड़ाया गया था ।
36 राफेल विमानों की खरीद सितंबर 2016 में पूरी हुई थी जब भारतीय वायुसेना ने दसॉ के साथ 7.8 अरब यूरो के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे जिसकी डिलिवरी सितंबर 2019 में शुरू हुई थी। जुलाई में फ्रांस से पहला पांच राफेल विमान भारत आया और इसकी डिलिवरी 9 महीने देर से शुरू हुई। इस अनुबंध में विमान का ढांचा 3.3 अरब यूरो में, वायुसेना की मांग पर विमान की अतिरिक्त लड़ाकू क्षमता को बढ़ाने के लिए 1.7 अरब यूरो, स्पेयर पाट्र्स के लिए 1.8 अरब यूरो, विमान के हथियारों के लिए 70 करोड़ यूरो और प्रदर्शन आधारित लॉजिस्टिक्स गारंटी के लिए 35 करोड़ यूरो की राफेल का बेड़ा हर वक्त परिचालन के लिए उपलब्ध रहेगा। हालांकि, दसॉ राफेल को भारत के लिए वायुसेना की कथित मांग के अनुरूप विशेष तौर पर तैयार करके नहीं दे रहा है। इनमें रडार वार्निंग रिसीवर, रेडियो अल्टीमीटर, डॉप्लर रडार और लद्दाख जैसे बेहद ठंडे इलाकों में बिना किसी मदद के विमान को शुरू करने की क्षमता शामिल है।
हालांकि दसॉ विमान की ऐसी क्षमता विकसित करने पर अब भी काम कर रही है जिसे बाद में भारतीय वायु सेना के राफेल बेड़े पर रेट्रो-फिट किया जाएगा। इस क्षेत्र के अन्य सभी लड़ाकू विमानों में राफेल की लड़ाकू क्षमता को जो हथियार ज्यादा धार दे सकते हैं उनकी डिलिवरी विमान आने से पहले ही एमबीडीए ने कर दी है। इनमें मीटियॉर बियॉन्ड विजुअल रेंज (बीवीआर), हवा से हवा में मारे जाने वाली मिसाइल शामिल हैं जो दुनिया की सबसे ज्यादा खतरनाक मानी जाती है। इसका दायरा 120 किलोमीटर से अधिक की सीमा में है और मीटिऑर राफेल के पायलट को दुश्मन के मिसाइलों की सीमा में आने से पहले ही चेतावनी देता है। भारतीय वायुसेना के रफ ालों में कम दूरी की मीका (एमआईसीए) मिसाइल भी है जो दुनिया की एकमात्र हवा से हवा में चलने वाली ऐसी मिसाइल है जिसमें सक्रिय रडार और इमेजिंग इंफ्रारेड की सुविधा है। इसकी वजह से मीका का इस्तेमाल बेहद करीब से वार करने के साथ-साथ बीवीआर भूमिका में भी होता है। मीका की एक घातक विशेषता यह है कि लक्ष्य को बीवीआर मोड में उलझाने के साथ ही यह दुश्मन के विमान को निष्क्रिय तरीके से निशाना बनाता है और यह रडार की तरंगों की नजर से भी बच जाता है। जब यह लक्ष्य के करीब पहुंचता है तब इसे अंतिम चरण में ही भनक लगती है लेकिन तब तक इसका सामना करने के लिए समय ही कम रह पाता है।
भारतीय वायुसेना के राफेल में फ्रांस का स्कैल्प (एससीएएलपी) डीप स्ट्राइक क्रूज मिसाइल भी होगा जिसका इस्तेमाल जमीन पर हमले के लिए किया जाएगा। यह शत्रु के क्षेत्र में बेहद सुरक्षित लक्ष्यों को भी निशाना बना सकता है और इसके लिए उसे शत्रु के हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने की जरूरत भी नहीं है। स्कैल्प भारी तबाही मचा सकता है।
 

 
राजनाथ ने दिया कड़ा संदेश
पूर्वी लद्दाख में सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति को लेकर चीन का स्पष्ट तौर पर संदर्भ देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि पांच राफेल विमानों का भारतीय वायुसेना में शामिल होना उन लोगों के लिए एक बड़ा और कड़ा संदेश हैं जो भारत की संप्रभुता पर नजर गड़ाए हुए हैं। पांच राफेल लड़ाकू विमानों को अंबाला वायुसेना अड्डे पर गुरुवार को हुए शानदार समारोह में भारतीय वायुसेना में औपचारिक रूप से शामिल किया गया। यह भारत की वायु शक्ति की क्षमता को ऐसे समय में मजबूती दे रहा है जब देश पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा विवाद में उलझा हुआ है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष बिपिन रावत और एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया समेत कई अन्य अधिकारी इस समारोह में शामिल हुए। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत की जिम्मेदारी उसकी क्षेत्रीय सीमा तक सीमित नहीं हैं और वह हिंद-प्रशांत और हिंद महासागर क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।  फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने कहा कि भारतीय वायुसेना के बेड़े में राफेल लड़ाकू विमानों के शामिल होने के बाद भारत को अपने लोगों की रक्षा करने में समूचे क्षेत्र पर बढ़त मिलेगी।  भाषा

First Published - September 10, 2020 | 11:22 PM IST

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