नागरिक उड्डयन निदेशालय (डीजीसीए) जल्द ही प्रैट ऐंड व्हिटनी (पीऐंडडब्ल्यू) इंजन वाले एयरबस 320 व 320 नियो को ईडीटीओ मंजूरी देने वाला है, जिसका इस्तेमाल इंडिगो व गोएयर करती है। इडीटीओ का मतलब है एक्सटेंडेड डाइवरजन टाइम ऑपरेशन अप्रूवल, जो किसी विमान 60 मिनट की दूरी वाले उपयुक्त हवाईअड्डे पर आपात स्थिति में लैंडिंग के लिए अनिवार्य है।
पीऐंडडब्ल्यू इंजन में कई तरह की खामियां पाई गई थी और उड़ान के दौरान इंजन बंद हो गए थे, जिसके बाद डीजीसीए ए 320 व ए 321 नियो विमानों के ईडीटीओ ऑपरेशन पर पाबंदी लगाने के लिए बाध्य हुआ था।
हालांकि अमेरिका व यूरोप के विमानन नियामकों ने दो साल पहले ही इस बाबत मंजूरी दे दी थी। डीजीसीए के परिपत्र के मुताबिक, नियामक ने इंडिगो से कहा है कि मंजूरी हासिल करने से पहले वह 320 या 321 के जरिये 90 मिनट का वैलिडेशन फ्लाइट संचालित करे।
ईडीटीओ पर पाबंदी के कारण इंडिगो व गोएयर पुराने ए 320 विमान इस्तेमाल करने को बाध्य हुई, जिसमें तेल की खपत ज्यादा होती है या क्वालालंपुर, सिंगापुर, फुकेत और मस्कट जैसे गंतव्यों के लिए लंबी दूरी के मार्ग का इस्तेमाल करते हैं और यह नजदीकी वैकल्पिक हवाई अड्डे से 60 मिनट की दूरी से ज्यादा है।
डीजीसीए की तरफ से पाबंदी हटाने का मतलब यह भी है कि इंडिगो अब मध्य एशियाई देशों में नए गंतव्यों के लिए संभावनाएं तलाशने में सक्षम होगी।
डीजीसीए के एक अधिकारी (फ्लाइट सेफ्टी डिपार्टमेंट) चंद्र मणि पांडे ने इंडिगो को गुरुवार को लिखा है, 90 मिनट के लिए ईडीटीओ वैलिडेशन फ्लाइट की अनुमति मिलेगी, लेकिन इंडिगो को सुनिश्चित करना होगा कि क्रू मेंबर के कम से कम एक सदस्य को ए 320 या ए 321 विमान के लिए ईडीटीओ का पिछला अनुभव है।
विमानन नियामक के दो फ्लाइट सेफ्टी ऑफिसर विमान का निरीक्षण करेंगे। अगर नतीजे संतोषजनक रहे तो विमान के लिए ईडीटीओ मंजूरी 48 घंटे के भीतर दी जाएगी। डीजीसीए के अधिकारी ने ये बातें कही।
ए 320 नियो विमानों की दुनिया की सबसे बड़ी ग्राहक इंडिगो है और उसने 730 विमानों का ऑर्डर दिया है। तकनीकी खामियों के कारण पिछले साल इंडिगो ने पीऐंडडब्ल्यू इंजन से दूर हटने के फैसला किया था और प्रतिस्पर्धी सीएफएम को 20 अरब डॉलर का ऑर्डर दे दिया था। यह जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी व फ्रांस की सैफरन एसए का संयुक्त उद्यम है।
ईडीटीओ ऑपरेशन की मंजूरी तब दी गई जब इंडिगो ने पीऐंडडब्ल्यू इंजन टर्बाइन ब्लेड को अनिवार्य तौर पर बदलने का काम पूरा किया। इस मामले में नियामक ने 31 अगस्त तक की समयसीमा तय की थी।
वाडिया समूह के स्वामित्व वाली गो एयर ने भी कुछ इंजनों को बदला है, जिसके इस्तेमाल का उसका इरादा है। इंजन में खामियों के बाद पिछले साल डीजीसीए ने इंडिगो व गोएयर को टर्बाइन ब्लेड वाले एयरबस ए 320 व 321 नियो विमानों के इस्तेमाल से रोक दिया था क्योंंकि यह क्षति के लिहाज से संवेदनशील है और इससे आसमान में इंजन बंद हो सकता है।
परिणामस्वरूप भारत की सबसे बड़ी विमानन कंपनी को वित्त वर्ष 20 की चौथी तिमाही में क्षमता अनुमान में 2-3 फीसदी की कटौती करनी पड़ी थी। डीजीसीए के अधिकारी ने कहा, इंडिगो ने विमानों के इंजन बदल दिए हैं, लेकिन गोएयर करीब 16 इंजन अभी नहीं बदल पाई है क्योंंकि उसका इरादा अभी इन विमानों का परिचालन नहीं करने का है।
