आंदोलनकारी किसानों और केंद्र सरकार के बीच आठवें दौर की बातचीत भी बेनतीजा रही। ऐसा लगता है कि दोनों पक्ष किसी समाधान के लिए सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। दोनों पक्षों ने 15 जनवरी को फिर बैठक करने का फैसला लिया है। इस बात की पूरी संभावना है कि सर्वोच्च न्यायालय अगले सप्ताह कृषि कानूनों और विरोध-प्रदर्शन की वैधता से संबंधित सभी मामलों की सुनवाई करेगा।
सूत्रों ने कहा कि किसान और केंद्र सरकार अगले दौर की बातचीत के लिए आने से पहले गतिरोध के दो मुद्दों के विभिन्न विकल्पों के बारे में विचार कर सकते हैं। ये दो मुद्दे कानूनों को रद्द करना और एमएसपी की कानूनी गारंटी हैं। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, ‘हम आंदोलित किसानों की दो मुख्य मांगों- अधिनियमों को रद्द करने और एमएसपी की कानूनी गारंटी को लेकर किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके क्योंकि किसान अन्य कोई विकल्प लेकर नहीं आए थे। यही वजह है कि हमने 15 जनवरी को फिर बैठक करने का फैसला किया है।’
यह माना जा रहा है कि तोमर ने बातचीत के दौरान किसानों से कहा, ‘हम कानूनों को रद्द नहीं कर सकते और न ही करेंगे क्योंकि उन्हें देश की संसद ने पारित किया है।’ बाद में संवाददाताओं को संबोधन के दौरान तोमर से पूछा गया कि क्या केंद्र सरकार गतिरोध खत्म करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के किसी निर्देश का इंतजार कर रही है? इस पर उन्होंने कहा कि इस देश का प्रत्येक नागरिक, भले ही वह कानून निर्माता हो या अन्य कोई, मार्गदर्शन के लिए सर्वोच्च न्यायालय की तरफ देखता है। इस बीच किसान नेता और माकपा से संबद्ध ऑल इंडिया किसान सभा (एआईकेएस) के प्रतिनिधि हन्नन मुल्ला बैठक से बाहर आकर कहा कि किसानों ने केंद्र सरकार को बता दिया है कि वे मृत्यु तक
लडऩे को तैयार हैं और अदालत में जाना कोई विकल्प नहीं है।
एक अन्य किसान नेता जोगिंदर सिंह उग्राहन ने कहा कि ऐसा लगता है कि सरकार हमारी ताकत की परीक्षा ले रही है, लेकिन हम नहीं झुकेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि हम यहीं लोहड़ी, बैशाखी के त्योहार मनाएंगे।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, रेलवे, वाणिज्य एवं खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री तथा पंजाब से सांसद सोम प्रकाश राष्ट्रीय राजधानी स्थित विज्ञान भवन में किसान संगठनों के साथ बातचीत की।
सूत्रों ने कहा कि शुरुआत में तोमर ने किसान संगठनों से कानूनों पर चर्चा का आग्रह किया, जबकि किसान नेताओं ने नए अधिनियमों को रद्द करने की मांग दोहराई। सूत्रों ने कहा कि कृषि मंत्री ने पूरे देश के किसानों के हितों की सुरक्षा पर जोर दिया।
