केंद्र सरकार की 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में देरी हो सकती है। सूत्रों के मुताबिक भारतीय नौसेना ने 100 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम खाली करने को लेकर आपत्ति जताई है। सरकार ने 2022 में 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी करने की योजना बनाई थी।
दूरसंचार विभाग (डीओटी) के एक अधिकारी ने कहा, ‘भारतीय नौसेना 3.3 से 3.4 मेगाहट्र्ज बैंड के स्पेक्ट्रम को खाली करने को लेकर अनिच्छुक नजर आ रही है, जिसका इस्तेमाल अभी वह कर रही है। जब तक इस मसले पर उनसे कुछ सहमति नहीं बन जाती, हम ट्राई से परामर्श नहीं मांग सकते।’
प्रस्तावित 5जी नीलामी में 3,300 मेगाहट्र्ज-3,600 मेगाहट्र्ज (3.3 गीगाहट्र्ज-3.6 गीगाहट्र्ज) की नीलामी पहली बार की जाएगी, जो अगले साल होने की संभावना है। यह फ्रीक्वेंसी मौजूदा वाई-फाई बैंड (2.4 गीगाहट्र्ज और 5 गीगाहट्र्ज) के बीच मौजूद होती है और इसका इस्तेमाल अभी नौसेना की राडार प्रणाली और सैटेलाइड ग्राउंड कम्युनिकेशंस के लिए होता है। इसे बेहतरीन बैंड माना जाता है क्योंकि इसकी स्पीड और डेटा ट्रांसफर की क्षमता तेज होती है।
5जी स्पेक्ट्रम का आधार मूल्य करीब 3.63 लाख करोड़ रुपये है।
दूरसंचार विभाग भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) से कहेगा कि 2600-2800 मेगाहट्र्ज बैंड के मूल्य की तलाश पर अपना विचार दे। नीलामी में 3,300-3,600 मेगाहट्र्ज बैंड भी शामिल होगा।
हाल के नीलामी के दौर में पाया गया कि रिलायंस जियो ने 50 प्रतिशत से ज्यादा एयरवेव ले लिया, जिसकी पेशकश की गई थी। कंपनी ने इसके लिए 57,122.65 करोड़ रुपये का भुगतान किया और इस राशि का 60 प्रतिशत 800 मेगाहट्र्ड बैंड खरीदने में खर्च किया गया था।
सरकार द्वारा नीलामी के लिए पेश किए गए पूरे स्पेक्ट्रम की बिक्री आधार मूल्य पर हो गई। भारती एयरटेल ने 18,698.75 करोड़ रुपये का स्पेक्ट्रम खरीदा और इसका बड़ा हिस्सा 2,300 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम खरीदने पर खर्च हुआ। वोडाफोन-आइडिया ने नीलामी में 574 करोड़ रुपये खर्च किए ।
2,308 मेगाहट्र्ज के कुल उपलब्ध स्पेक्ट्रम में से 855.60 मेगाहट्र्ज की बिक्री नीलामी से हुई। मात्रा के आधार पर कुल स्पेक्ट्रम का 37 प्रतिशत और मूल्य के आधार पर कुल 19 प्रतिशत की बिक्री हुई।
2,500 और 700 मेगाहट्र्ज स्पेक्ट्रम को प्रीमियम स्पेक्ट्रम माना जाता है। इनकी बिक्री नहीं हो पाई। उद्योग ने ट्राई द्वारा कुछ बैंड में ज्यादा आरक्षित मूल्य की सिफारिश की थी, उद्योग जगत ने इसका विरोध किया।
अगस्त, 2018 में नियामक ने स्पेक्ट्रम के मूल्य पर अपनी सिफारिशें दीं, जिसमें उस स्पेक्ट्रम फ्रीक्वेंसी के आधार मूल्य में कमी कर दी, जिसकी बिक्री 2016 में नहीं हो पाई थी। प्रीमियम 700 मेगाहट्र्ज बैंड स्पेक्ट्रम का आरक्षित मूल्य, जिसकी बिक्री 2016 में नहीं हो पाई थी, 40 प्रतिशत से ज्यादा घटाकर 6,568 करोड़ रुपये प्रति मेगाहट्र्ज कर दिया, जो 2016 की नीलामी के लिए 11,485 करोड़ रुपये रखा गया था।
बहरहाल हाल की नीलामी में भी बैंड बगैर बिके रह गए। ट्राई ने 800 मेगाहट्र्ज बैंड में पेयर्ड स्पेक्ट्रम के लिए 19 सर्किल के लिए 4,651 करोड़ रुपये आधार मूल्य, 7 शहरों के लिए 900 मेगाहट्र्ज बैंड की कीमत 1,622 करोड़ रुपये प्रति मेगाहट्र्ज, 2100 मेगाहट्र्ज बैंड में 21 सर्किल के लिए 3,399करोड़ रुपये प्रति मेगाहट्र्ज और 2500 मेगाहट्र्ज बैंड में 12 सर्किल के लिए 821 करोड़ रुपये प्रति मेगाहट्र्ज कीमत रखने की सिफारिश की है।
