कोविड-19 के बढ़ते मामले के बीच सार्स-कोव-2 वायरस का एक नया स्वरूप बीए.2.12 राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में पाया गया है। आधिकारिक सूत्रों ने इसकी जानकारी दी। हालांकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को इसकी पुष्टि नहीं की। अप्रैल के पहले दो हफ्ते के दौरान दिल्ली में अधिकांश नमूने की सीक्वेंसिंग में बीए,2.12 स्वरूप पाया गया जो ओमीक्रोन की ही वंशावली से जुड़ा है। भारतीय सार्स-कोव-2 जिनोमिक्स कंसोर्टियम (इन्साकॉग) के सूत्र ने दावा किया कि बीए.2.12.1 कुछ नमूने में पाए गए जिनकी सिक्वेंसिंग दिल्ली में की गई थी।
सूत्रों का दावा है कि एनसीआर में हाल में संक्रमण के मामले में बढ़ोतरी का कारण यह स्वरूप भी हो सकता है क्योंकि यह बेहद संक्रामक स्वरूप है और इससे दोबारा संक्रमण भी हो सकता है। एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि नए उप-स्वरूप बीए.2.12 (52 फीसदी नमूने) और बीए.2.10 (11 फीसदी नमूने) अधिक संक्रामक है और दिल्ली में हाल में सीक्वेंस किए गए कुल नमूने में से 60 फीसदी में यही स्वरूप पाए गए हैं। सूत्र ने कहा, ‘बीए.2 (ओमीक्रोन) के मुकाबले बीए.2.12 स्वरूप हर हफ्ते करीब 30 फीसदी से 90 फीसदी तक बढ़ता है।’
अधिकारियों ने कहा कि समान उप-स्वरूप कमोबेश उत्तर प्रदेश और हरियाणा के पड़ोस के जिले के सीक्वेंस वाले नमूने में पाए गए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के निदेशक सुजीत कुमार सिंह ने दिल्ली में इस स्वरूप के पाने की पुष्टि की है। हालांकि कई कोशिशों के बावजूद सिंह से संपर्क नहीं हो सका। एनसीडीसी इन्साकॉग की परियोजना का नेतृत्व कर रही है। यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (सीडीसी) ने हाल ही में उप-स्वरूप बीए.2.12.1 के साथ बीए.2.12 (ओमीक्रोन के उप-स्वरूप बीए.2) की पहचान की थी।
सबको टीका नहीं तो कोई सुरक्षित नहीं
जॉन हॉपकिन्स की वैज्ञानिक अमिता गुप्ता का कहना है कि असमान टीकाकरण भारत सहित पूरी दुनिया के लिए मुद्दा है और भारत में जहां अभी तक दो फीसदी से भी कम आबादी को बूस्टर खुराक दी गई है वहीं दुनिया के 56 देशों में अभी तक 10 प्रतिशत लोगों का भी टीकाकरण नहीं हुआ है। जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में संक्रामक रोग विभाग की प्रमुख और मेडिसिन की प्रोफेसर गुप्ता ने इस बात पर जोर दिया कि जब तक सभी का टीकाकरण नहीं हो जाता है तब तक कोई भी कोविड से सुरक्षित नहीं है। उन्होंने कहा कि अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों पर नजर रखने से बीमारी की गंभीरता का स्तर पता चल सकता है। उन्होंने अपनी बात के समर्थन में कोरोनावायरस के ओमीक्रोन स्वरूप की मिसाल दी। गुप्ता ने कहा कि माना जा रहा है कि टीकाकरण की कमी के कारण यह बेहद संक्रामक स्वरूप दक्षिण अफ्रीका और बोत्सवाना में पिछले साल नवंबर में आया और वहां से पूरी दुनिया में फैला। भाषा