थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर लगातार तीसरे महीने बढ़कर अक्टूबर महीने में 8 महीने के उच्च स्तर 1.48 प्रतिशत पर पहुंच गई है। इसके पहले के महीने में यह 1.32 प्रतिशत थी। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि डब्ल्यूपीआई के आंकड़ों से यह दबाव बनता है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) नीतिगत दरों को यथावत बनाए रखे।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के विपरीत इसमें सिर्फ खाद्य वस्तुओं की वजह से दबाव नहीं आया है। विनिर्मित वस्तुओं खासकर औषधि और धातुओं की वजह से थोक महंगाई बढ़ी है। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि त्योहारों और सितंबर के बाद ज्यादा क्षेत्रों में लॉकडाउन को खत्म किए जाने की वजह से ऐसा हुआ है।
दरअसल डब्ल्यूपीआई में खाद्य महंगाई दर अक्टूबर में घटकर 6.37 प्रतिशत पर आ गई है, जो इसके पहले महीने में 8.17 प्रतिशत थी। इस अवधि के दौरान सीपीआई 10.68 प्रतिशत से बढ़कर 11.07 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
इंडिया रेटिंग के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र पंत ने कहा, ‘खुदरा खाद्य महंगाई दर में बढ़ोतरी और थोक खाद्य महंगाई दर नीति निर्माताओं के लिए बुरे स्वप्न जैसा है।’
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि डब्ल्यूपीआई के आंकड़े ऐसे संकेत नहीं देते कि दिसंबर 2020 में नीतिगत दरों में कटौती होगी। उन्होने कहा, ‘मेरे विचार से एमपीसी कम से कम दिसंबर 2020 में यथास्थिति बरकरार रखेगी, भले ही फरवरी 2021 में कुछ बदलाव हो।’
बहरहाल कुल मिलाकर थोक मूल्य खाद्य महंगाई दर में अलग अलग वस्तुओं का व्यवहार अलग रहा। डब्ल्यूपीआई महंगाई दर में सब्जियों की महंगाई दर 25.32 प्रतिशत रह गई है, जो 36.54 प्रतिशत थी। बहरहाल अक्टूबर में प्याज के दाम बढ़े हैं, जिसके दाम में 4 महीने लगातार गिरावट आई थी। प्याज की महंगाई दर 8.49 प्रतिशत रही, जबकि इसके पहले महीने में कीमत में 31.64 प्रतिशत कमी आई थी। अक्टूबर 2020 में पिछले साल के समान महीने की तुलना में आलू के दाम दोगुने हो गए हैं। अक्टूबर में इसकी महंगाई दर 107.70 प्रतिशत रही है। दलहन की महंगाई दर भी सितंबर के 12.53 प्रतिशत से बढ़कर अक्टूबर में 15.93 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
ईंधन और बिजली की कीमतों में अवस्फीति दर अक्टूबर में बढ़कर 10.95 प्रतिशत हो गई जो इसके पहले महीने में 9.54 प्रतिशत थी। तरलीकृत पेट्रोलियम गैस (एलपीजी) की महंगाई लगातार बनी रही है, लेकिन इसमेंं इस अवधि के दौरान यह गिरकर 2.86 प्रतिशत हो गई है, जो पहले 3.19 प्रतिशत रही है। पेट्रोल व डीजल दोनों के दाम में गिरावट आई है।
थोक महंगाई में विनिर्मित वस्तुओं का अधिभार 64 प्रतिशत होता है। इसकी महंगाई दर 2.12 प्रतिशत हो गई, जो पहले 1.61 प्रतिशत थी। दवा, दवा संबंधी रसायन और वानस्पतिक उत्पाद की महंगाई दर 3.31 प्रतिशत हो गई है, जो 2.70 प्रतिशत थी। बहरहाल अक्टूबर में महंगाई दर 3.40 प्रतिशत की तुलना में यह कम है। मूल धातुओंं की महंगाई दर बढ़कर 5.32 प्रतिशत हो गई है, जो 3.35 प्रतिशत थी, जबकि माइल्ट स्टील और सेमी फर्निश्ड स्टील की महंगाई दर 4.85 प्रतिशत हो गई है, जो 4.06 प्रतिशत थी। नायर ने कहा कि इसकी वजह से प्रमुख महंगाई दर (जिसमें गैर खाद्य, गैर ईंधन विनिर्मित वस्तुएं होती हैं) बढ़कर 1.7 प्रतिशत हो गई है, जो एक प्रतिशत थी, जो मूलत: आधार के असर के कारण हुई है।
पंत का कहना है कि प्रमुख महंगाई दर में बढ़ोतरी कोविड से संबंधित बंदी उठाए जाने के बाद मांग में सुधार के संकेत दे रही है।
