दक्षिण-पश्चिम मॉनसून अगस्त में अत्यंत कमजोर रहने के बाद सितंबर में बेहतर रहने के आसार हैं। सितंबर में बारिश लंबी अवधि के औसत (एलपीए) की 110 फीसदी से अधिक रहने का अनुमान है, लेकिन यह पूरे सीजन की कमी की भरपाई करने के लिए पर्याप्त नहीं होगी।
भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक जून से सितंबर तक के मॉनसून सीजन में कुल बारिश अब एलपीए की करीब 96 फीसदी रहने का अनुमान है, जो सामान्य दायरे के निचले छोर पर होगी। एलपीए की 96 से 104 फीसदी के बीच बारिश को सामान्य माना जाता है। इन चार महीनों के मॉनसून सीजन का एलपीए 89 सेंटीमीटर है। अकेले सितंबर का एलपीए करीब 17 सेंटीमीटर है, जो चार महीनों के मॉनसून सीजन में सबसे कम है। ऐसे में सितबर में भारी बारिश होने पर यह पूरे सीजन की कमी की भरपाई नहीं कर पाएगी। हालांकि इससे आगामी रबी फसलों के लिए संभावनाएं सुधरेंगी और जलाशय भर जाएंगे।
अगस्त में मॉनसून सामान्य से करीब 24 फीसदी कम रहा, जो वर्ष 1901 से छठा सबसे सूखा अगस्त रहा। जुलाई में भी मॉनसून सामान्य से सात फीसदी कम रहा था। जुलाई और अगस्त मॉनसून सीजन के दो सबसे अहम महीने हैं क्योंकि ज्यादातर बारिश इन्हीं महीनों में होती है।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘कृषि के नजरिये से, मुझे नहीं लगता कि सितंबर में मॉनसून में सुधार से खरीफ फसलों के लिए संभावनाओं में बड़ा इजाफा होगा क्योंकि बुआई लगभग पूरी हो चुकी है और तिलहन, मोटे अनाज एवं कपास के रकबे में जो कमी है, वह बनी रहेगी। लेकिन सितंबर में अच्छी बारिश जलाशयों को भरने में मददगार रहेगी। इसके बावजूद तिलहन और कपास की कीमतों को लेकर चिंता बरकरार है।’
मौसम विभाग ने जून में कहा था कि इस साल दक्षिण-पश्चिम मॉनसून एलपीए का 101 फीसदी रहने का अनुमान है और पूर्वी और उत्तर-पूर्वी भारत को छोडकर देश के ज्यादातर हिस्सों में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश के आसार हैं।मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि तीन वजहों से दक्षिण-पश्चिम मॉनसून इस साल अनुमान से कम रहा। महापात्र ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘पहला, नकारात्मक इंडियन ओशन डाइपोल (आईओडी) के व्यवहार का ठीक से अनुमान नहीं लगाया जा सका। दूसरा मैडेन जूलियन ऑसीलेशन (एमजेओ) भी मॉनसून के ज्यादातर महीनों में अनुकूल नहीं रहा। तीसरा इस साल बंगाल की खाड़ी पर कम दबाव क्षेत्र (एलपीए) सामान्य से कम संख्या में बने।’ उन्होंने कहा कि इन तीन कारकों की वजह से वास्तविक मॉनसून पूर्वानुमान से अलग रहा। लेकिन यह कहना मुश्किल है कि इन तीन कारकों का मॉनसून के सामान्य से कमजोर प्रदर्शन में कितना योगदान रहा। महापात्र ने कहा, ‘हम निश्चित रूप से सभी मल्टी-मॉडल मौसम मॉडलों का विश्लेषण करेंगे, जिनका 2021 के पूर्वानुमान के लिए इस्तेमाल किया गया था।’