कोविड-रोधी टीके की दो खुराक लेने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के बीच एंटीबॉडी को लेकर किए गए हालिया अध्ययन से पता चला है कि कोविशील्ड की दो खुराक लेने वालों में कोवैक्सीन की तुलना में बेहतर एंटीबॉडी प्रतिक्रिया देखी गई। यह अध्ययन चिकित्सा विज्ञान में अप्रकाशित पाण्डुलिपियों के ऑनलाइन आर्काइव मेडआर्काइव में प्रकाशित किया गया है।
इसमें कहा गया है कि जो लोग टीके की दोनों खुराक ले चुके हैं, उनमें से कोविशील्ड लेने वाले 98 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी दिखीं, जबकि कोवैक्सीन लगवाने वाले 80 फीसदी लोगों में ही ऐसा देखा गया।
इस अध्ययन को चिकित्सकों अवधेश कुमार सिंह, संजीव रत्नाकर पाठक, ऋतु सिंह, किंशुक भट्टïाचार्य, नगेंद्र कुमार सिंह, अरविंद गुप्ता और अरविंद शर्मा की टीम ने प्रकाशित किया है। लेकिन अभी इसकी व्यापक समीक्षा नहीं की गई है। शोधार्थियों ने घोषणा की है कि इसमें हितों का टकराव नहीं है और न ही इस अध्ययन के लिए किसी से वित्तीय मदद ली गई है।
इस अध्ययन का मकसद भारतीयों में कोविशील्ड और कोवैक्सीन की दो खुराक पूरी होने के बाद एंटीबॉडी प्रतिक्रिया की जांच करना था। अध्ययन करने वालों ने कहा, ‘हमने देश के स्वास्थ्यकर्मियों पर कोविशील्ड और कोवैक्सीन की दो खुराक लेने के बाद प्रतिरक्षा (इम्यून) प्रतिक्रिया का मूल्यांकन किया है।’ देश भर में सभी वर्गों के बीच कोरोनावायरस टीके से संबंधित एंडीबॉडी मापक अध्ययन किया गया, जिसमें दोनों में से किसी भी टीके की दो खुराक लगवाने वाले स्वास्थ्यकर्मियों में 21 दिन या उसके बाद सार्स-कोवी-2 एंटी-स्पाइक बाइंडिंग एंटीबॉडी की मात्रा का आकलन किया गया।
515 स्वास्थ्यकर्मियों (305 पुरुष और 210 महिला) में से 95 फीसदी में दोनों टीकों में से किसी की भी दो खुराक लगवाने के बाद सीरो-पॉजिटिविटी देखी गई। कोविशील्ड लगवाने वाले 425 में 98.1 फीसदी सीरो-पॉजिविटी देखी गई जबकि कोवैक्सीन के 90 प्राप्तकर्ताओं में 80 फीसदी सीरो-पॉजिटिविटी देखी गई। सीरो-पॉजिटिविटी का मतलब रक्त के सीरम में एंटीबॉडी मौजूद होना है। शोधार्थियों ने कहा कि इस अध्ययन का मूल उद्देश्य कोविशील्ड और कोवैक्सीन की प्रत्येक खुराक के बाद एंटीबॉडी प्रतिक्रिया और आयु, लिंग, रक्तसमूह, बॉडी मास इंडेक्स तथा सह-रुग्णता के बीच संबंधों का विश्लेषण करना था।
