प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को पुलिस के लिए ‘एक राष्ट्र, एक वर्दी’ का विचार प्रस्तुत किया और कहा कि यह उनकी तरफ से एक विचार मात्र है और वह इसे राज्यों पर थोपने का प्रयास नहीं कर रहे हैं। राज्यों के गृह मंत्रियों के हरियाणा के सूरजकुंड में आयोजित दो दिवसीय ‘चिंतन शिविर’ को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने उन ताकतों से आगाह किया जो युवाओं को चरमपंथ की ओर धकेलने और आने वाली पीढ़ियों के दिमाग को विकृत करने के लिए अपने बौद्धिक दायरे को बढ़ा रहे हैं।
उन्होंने कहा, ‘देश के युवाओं को गुमराह होने से रोकने के लिए नक्सलवाद के हर स्वरूप को उखाड़ फेंकना होगा, वह चाहे बंदूक का हो या फिर कलम का।’ मोदी ने कहा कि देश की एकता और अखंडता की खातिर और सरदार पटेल की प्रेरणा से ‘हम ऐसी किसी ताकत को अपने देश में पनपने नहीं दे सकते।’ उन्होंने कहा कि ऐसी ताकतों को अंतरराष्ट्रीय मदद भी मिलती है।
अपराध और अपराधियों पर नकेल कसने के लिए राज्यों के बीच निकट सहयोग की वकालत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सहकारी संघवाद ना सिर्फ संविधान की भावना है बल्कि यह केंद्र और राज्यों की जिम्मेदारी भी है। उन्होंने कहा, ‘पुलिस के लिए ‘एक राष्ट्र, एक वर्दी’ सिर्फ एक विचार है। मैं यह आप सभी पर थोपने की कोशिश नहीं रहा। इसके बारे में आप सोचिए। यह 5, 50 या 100 सालों में हो सकता है। लेकिन हमें इसके बारे में विचार करना चाहिए।’
उन्होंने कहा कि इससे न केवल गुणवत्तापूर्ण उत्पादों का विनिर्माण सुनिश्चित होगा क्योंकि उनका बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इससे कानून प्रवर्तन कर्मियों को एक आम पहचान भी मिलेगी और लोग उन्हें देश में कहीं भी पहचान सकेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनका मानना है कि देश भर में पुलिस की पहचान एक जैसी हो सकती है।
उन्होंने सभी राज्य सरकारों से पुराने कानूनों की समीक्षा करने और आज के संदर्भ में उनमें सुधार करने का आग्रह किया। उन्होंने कानून-व्यवस्था और सुरक्षा की उभरती चुनौतियों के समाधान के लिए सभी एजेंसियों के बीच समन्वित कार्रवाई की भी गुजारिश की।
मोदी ने कहा कि पुलिस के बारे में अच्छी धारणा बनाए रखना ‘बहुत महत्त्वपूर्ण’ है और इस राह में जो खामियां विद्यमान हैं, उन्हें दूर किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि यद्यपि संविधान के हिसाब से कानून-व्यवस्था राज्यों का विषय है लेकिन यह देश की एकता और अखंडता से भी उतना ही जुड़ा हुआ है।
उन्होंने कहा, ‘हर एक राज्य एक दूसरे से सीखे, एक दूसरे से प्रेरणा ले और आंतरिक सुरक्षा के लिए मिलकर काम करे। आंतरिक सुरक्षा के लिए राज्यों का साथ मिलकर काम करना संवैधानिक अनिवार्यता है और साथ ही देश के प्रति जिम्मेदारी भी है।’
प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी एजेंसी को, वह चाहे केंद्र की हों या राज्यों की, सभी को एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए ताकि दक्षता बढ़े, बेहतर परिणाम सामने आए और आम जन को सुरक्षा मिले। उन्होंने कहा कि कानून एवं व्यवस्था का सीधा संबंध विकास से है, अत: शांति बनाए रखना हर किसी की जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा, ‘जब देश का सामर्थ्य बढ़ेगा तो देश के हर नागरिक व हर परिवार का सामर्थ्य बढ़ेगा। यही तो सुशासन है, जिसका लाभ देश के हर राज्य को समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुंचाना है।’ मोदी ने कहा कि कानून-व्यवस्था के पूरे तंत्र के लिए भरोसेमंद होना बहुत महत्त्वपूर्ण है और इसके लिए आम जन से पुलिस का संबंध और संवाद बेहतर होना चाहिए ताकि उनके बारे में अच्छी धारणा बने।
मोदी ने कहा कि पिछले वर्षों में भारत सरकार के स्तर पर कानून व्यवस्था से जुड़े सुधार हुए हैं, जिसने पूरे देश में शांति का वातावरण बनाने का काम किया है। उन्होंने कहा, ‘हमें प्रौद्योगिकी के लिए एक साझा मंच के बारे में सोचने की जरूरत है जिसे सभी के द्वारा साझा किया जा सके।’