अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना इंक. द्वारा जारी आंकड़े से पता चलता है कि उसकी वैक्सीन सार्स-कोव2 वायरस के खिलाफ 94.5 प्रतिशत प्रभावी थी। जहां हैदराबाद स्थित इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स (आईआईएल) जैसी कंपनियों का कहना है कि वे मोडर्ना के साथ भागीदारी में निर्माण के लिए स्वतंत्र हैं, वहीं भारत सरकार ने भी कंपनी के साथ बातचीत शुरू की है।
अधिकारियोंं का दावा है कि भारत सरकार इस टीके को मोडर्ना से प्रत्यक्ष तौर पर खरीद सकती है और यहां वितरित कर सकती है। एक अधिकारी ने कहा, ‘अमेरिकी सरकार ने शोधएवं विकास में निवेश किया है और साथ ही वह तैयार होने पर इस टीके की खरीद को लेकर भी प्रतिबद्घ है। इसकी ज्यादा संभावना है कि अमेरिकी बाजार को आपूर्ति के बाद मोडर्ना के टीके भारत सरकार द्वारा खरीदे जा सकते हैं और यहां वितरित किए जा सकते हैं।’
मॉडर्ना ने अभी भारत में किसी प्रमुख कंपनी के साथ बातचीत शुरू नहीं की है। उसे आरऐंडडी के लिए अमेरिकी सरकार से 1 अरब डॉलर और 10 करोड़ खुराक आपूर्ति के लिए 1.5 अरब डॉलर का सौदा मिला है। अमेरिकी सरकार के पास अन्य 40 करोड़ खुराक के लिए भी विकल्प है। कंपनी 50 करोड़ खुराक का उत्पादन करना चाहती है। इसलिए इसकी पर्याप्त क्षमता होगी कि मॉडर्ना को वैश्विक रूप से इसका वितरण करना होगा। अमेरिका की आबादी 33 करोड़ है और उसने फाइजर-बायोएनटेक, मॉडर्ना और नोवावैक्स से टीके खरीदने का लक्ष्य रखा है।
आईआईएल के उप प्रबंध निदेशक प्रसन्ना देशपांडे ने कहा कि वह इस टीके के लिए मॉडर्ना के साथ निर्माण भागीदारी को इच्छुक हैं। हालांकि अभी इसे लेकर बातचीत शुरू नहीं हुई है।
अन्य वैक्सीन निर्माता का मानना है कि यदि भारत मॉडर्ना वैक्सीन के आयात का निर्णय लेता है तो उसे आपूर्ति शृंखला पर ज्यादा नियंत्रण के लिए भारत में भागीदार की जरूरत होगी। मोडर्ना का टीका 30 दिन तक 2 से 8 डिग्री सेल्सियस के सामान्य तापमान के साथ फ्रिज में रखा जासकेगा और इसे -20 डिग्री सेल्सियस के तापमान के साथ 6 महीने तक रखा जा सकेगा। इसलिए, स्थानीय भागीदार इस टीके के वितरण को लेकर भारत का नियंत्रण बढ़ाएगा।
मॉडर्ना का नया टीका मैसेंजर आरएनए टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म पर आधारित है, और अब तक पुणे की जेनोवा फार्मा के अलावा किसी अन्य भारतीय कंपनी ने कोविड-19 टीके के लिए इस टेक्नोलॉजी पर काम नहीं किया है। कंपनी के सूत्रों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि हालांकि जेनोवा भी मोडर्ना के साथ भागीदारी नहीं कर रही है।
एक प्रख्यात वैक्सीन निर्माता ने कहा कि टेक्नोलॉजी में कुछ निवेश के साथ निर्माण भागीदारी संभव थी। उन्होंने कहा, ‘भारतीय कंपनियां यहां इस टीके को बना सकती हैं, क्योंकि मोडर्ना इसकी टेक्नोलॉजी साझा करने को इच्छुक है। इसके लिए हमारी तरफ से भी कुछ निवेश की जरूरत होगी।’
