इलाज में देरी, इलाज टालने और टीके की बूस्टर खुराक लेने में दिलचस्पी न होने के कारण कई गंभीर मामले सामने आ रहे हैं जिससे कोविड-19 में तेजी देखी जा रही है।
डॉक्टरों का कहना है कि ज्यादातर लोग समय पर अपनी बूस्टर खुराक लेने को लेकर लापरवाह हैं और अगर उन्हें इन्फ्लूएंजा जैसे लक्षण हैं तब भी वे कोविड-19 की जांच नहीं करा रहे हैं जिससे अक्सर इलाज में देरी होती है और इसकी वजह से इलाज टल रहा है। मुंबई और केरल जैसी जगहों पर मरने वालों की तादाद बढ़ रही है।
पिछले 15 दिनों में मुंबई में 1,370 लोग अस्पताल में भर्ती हुए जिनमें से करीब 31 लोगों की मौत कोविड-19 की वजह से हुई है। शहर में एक पखवाड़े में लगभग 26,615 मामले सामने आए हैं। इसका मतलब यह है कि अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों में से लगभग 2.2 प्रतिशत ने संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया, वहीं संक्रमित लोगों में से लगभग 5 प्रतिशत लोगों को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा।
हैदराबाद स्थित यशोदा अस्पताल में सलाहकार श्वासरोग विशेषज्ञ विश्वेश्वरन बालसुब्रमण्यम ने कहा कि उन्होंने अपेक्षाकृत कम आयु के लोगों में भी अस्पताल में भर्ती होने के गंभीर मामले देखे हैं। उन्होंने कहा, ‘पिछले 10 दिनों में हम कोविड-19 के मामलों में वृद्धि देख रहे हैं। इस बार जनवरी में ओमीक्रोन लहर के विपरीत हमने कई ऐसे मामले देखे हैं जिनमें फेफड़ों का संक्रमण है। ओमीक्रोन में ज्यादातर लोगों को सांस के संक्रमण की दिक्कत थी।’
उन्होंने कहा कि इस संक्रमण में तेजी के इस दौर में लोग या तो जांच नहीं करा रहे हैं या कोविड-19 जांच में देरी कर रहे हैं। कई लोग होम ऐंटीजन टेस्ट किट का भी चयन कर रहे हैं जिसमें गलत तरीके से निगेटिव रिपोर्ट मिलती है। उन्होंने कहा, ‘देरी से जांच या इलाज के कारण हमें ऐसे मामले मिल रहे हैं जिसमें बीमारी ज्यादा गंभीर हो जा रही है।’
बालसुब्रमण्यम ने कहा, ‘हाल में हमारे पास कर्नाटक के 45 वर्षीय किसी व्यक्ति का मामला आया था जिन्हें पहले से कोई बीमारी नहीं थी और उन्हें बाइलेटरल निमोनिया की दिक्कत हुई और आखिरकार उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। इसके बाद मरीज की मौत हो गई।’ अस्पताल में भर्ती होने के बाद मरीज के नमूने आरटी-पीसीआर जांच के लिए भेजे गए क्योंकि पहले ऐसा नहीं हो पाया था। लेकिन अभी जांच के नतीजे की घोषणा की जा रही है। हालांकि, डॉक्टरों का मानना है कि यह कोविड 19 निमोनिया का मामला हो सकता है।
बालसुब्रमण्यम का मानना है कि कई तरह के म्यूटेशन के चलते संक्रमित लोगों में विभिन्न प्रकार के लक्षण दिख सकते हैं। उन्होंने बताया कि कभी-कभी कोविड-19 से संक्रमित मरीज के परिवार के सदस्य या करीबी संपर्क के लोग भी अपनी जांच नहीं कराना चाहते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि यह फ्लू की तरह है।
मुंबई के डॉक्टर भी इस पर सहमत दिखे। मुंबई के सर एचएन रिलायंस फाउंडेशन अस्पताल के पल्मनरी मेडिसन विभागाध्यक्ष राजेश शर्मा ने बताया कि उन्हें अब ब्रोंकाइटिस के मामले मिल रहे हैं जिसमें मरीजों को लगातार खांसी की शिकायत है। शर्मा ने कहा, ‘इनमें से अधिकांश मरीजों का कहना है कि उन्हें कुछ समय पहले बुखार और फ्लू जैसे लक्षण थे और वे अपने आप ठीक हो गए। अब वे डॉक्टरों के पास जा रहे हैं क्योंकि उन्हें लगातार खांसी की शिकायत हो रही है।’
डॉक्टरों ने बताया कि उनके नमूने अब कोविड-19 जांच के लिए भेजे जा रहे हैं और ज्यादातर समय वे पॉजिटिव ही पाए जाते हैं और कुछ मामलों में ये निगेटिव होते हैं। जांच में नकारात्मक नतीजे तभी आएंगे जब कोई लक्षण की शुरुआत के लगभग 10-15 दिनों के बाद जांच कर रहा है। शर्मा ने इस बात पर भी जोर दिया कि उन्हें ऐसे मामले मिल रहे हैं जिनमें मरीजों ने टीका नहीं लगवाया है या टीके की केवल एक खुराक ली है। इन लोगों में संक्रमण अधिक गंभीर होने का खतरा होता है।
शर्मा ने कहा, ‘हालांकि, अस्पताल में भर्ती होने वाले अधिकांश मामले ऐसे लोगों के हैं जिन्हें कई अन्य गंभीर बीमारियां भी हैं और ज्यादातर लोगों की मौत इनके बीच ही हुई है।’ डॉक्टरों का मानना है कि अन्य बीमारियों से ग्रस्त मरीजों में किसी भी बड़े संक्रमण के कारण मौत का अधिक खतरा होता है चाहे वह कोविड 19, मलेरिया, टायफाइड या कुछ और बीमारी हो।
संक्रमण की मौजूदा लहर में तेजी के दौरान एक लक्षण और देखा गया है कि कई मरीजों में पेट और आंत से जुड़ी दिक्कतें हो रही हैं। मसीना अस्पताल में सलाहकार पल्मनोलॉजिस्ट सोनम सोलंकी ने बताया कि कई रोगियों को पेट-आंत से संबंधी समस्याएं होती हैं और वायरल गैस्ट्रोएंटेराइटिस जैसी बीमारी भी होती है।
मुंबई और महाराष्ट्र के अलावा, केरल एक ऐसा क्षेत्र है जहां संक्रमण के मामलों और मरने वालों की संख्या में तेजी देखी जा रही है। पिछले 15 दिनों के दौरान, राज्य में एक दिन में 9 से अधिक लोगों की मौत हुई है जबकि औसतन संक्रमण के 3,323 मामले देखे गए हैं।
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ जे ए जयलाल ने कहा, ‘देश के अस्पताल में भर्ती की दर कम है। अधिकांश अस्पतालों में भर्ती की दर 0.5 प्रतिशत है। वैसे लोगों की मौत हो रही है जिन्हें कुछ अन्य गंभीर बीमारियां या उच्च रक्तचाप की दिक्कत है और उनकी कीमोथेरेपी भी हो रही है। 90 प्रतिशत से अधिक मौतें इन्हीं मामलों के कारण हो रही हैं।’
राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा, ‘केरल में मामलों में काफी तेजी देखी जा रही है। ज्यादातर मामले एर्णाकुलम जैसे जिले में देखे जा रहे हैं। हमने सभी सरकारी अस्पतालों में इंतजाम किया है लेकिन पिछली लहर की तुलना में अस्पताल में भर्ती होने की दर और मरने वालों की संख्या बहुत कम है। मरने वालों में से अधिकांश बुजुर्ग आबादी या अन्य बीमारियों से ग्रस्त लोग हैं।’
मंगलवार को राज्य सरकार ने मास्क लगाने सहित अन्य कोविड सुरक्षा दिशानिर्देशों को सख्ती से लागू करने का आदेश जारी किया। नए आदेश के अनुसार, सार्वजनिक स्थानों पर मास्क नहीं पहनने वाले या यहां तक कि अपने वाहन में भी बिना मास्क के बैठने वालों पर जुर्माना लगाया जाएगा। राज्य में सोमवार को संक्रमण की दर 18.33 प्रतिशत देखी गई है। केरल में इस महीने अब तक संक्रमण के 27,218 मामले सामने आए और कोविड से 229 लोगों की मौत हो गई।
हालांकि पड़ोस के राज्य तमिलनाडु में किसी भी व्यक्ति की मौत की सूचना नहीं है। लेकिन संक्रमण के बढ़ते मामलों के चलते सरकार ने अपना बयान जारी किया कि सार्वजनिक स्थानों पर मास्क लगाना अनिवार्य होगा और मास्क नहीं पहनने वालों पर जुर्माना लगाया जा सकता है। सोमवार को, राज्य में संक्रमण के 1,461 नए मामले सामने आए। तमिलनाडु में सार्वजनिक स्वास्थ्य और निवारक चिकित्सा के निदेशक टी एस सेल्वविनयगम ने कहा, ‘हम बड़ी तादाद में लोगों की मौत या अस्पताल में भर्ती होने की दर में तेजी नहीं देख रहे हैं। हालांकि, हमने एक सतर्क दृष्टिकोण अपनाया है और मास्क को अनिवार्य बना रहे हैं।’
