कर्ज पुनर्गठन पर केवी कामथ समिति की सिफारिशों से भारत के आतिथ्य क्षेत्र को मदद नहीं मिल रही है। यह क्षेत्र कोविड-19 महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में शामिल है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 7 सितंबर को कामथ समिति की सिफारिशों के दायरे में कॉर्पोरेट को 2 साल के लिए कर्ज के पुनर्गठन की सुविधा दी थी, जो महामारी के कारण आए दबाव तक सीमित है। बहरहाल होटल मालिकों का भविष्य अधर में है, क्योंकि उनके ऊपर कर्ज का बोझ बना हुआ है।
समिति की ओर से तय किए गए तीन मानकों में कुल बाहरी देनदारी व समायोजित वास्तविक पूंजी (टीओएल/एटीएनडब्ल्यू), चालू अनुपात, कुल कर्ज/इबिटडा, औसत कर्ज सेवा कवरेज अनुपात और कर्ज सेवा कवरेज अनुपात शामिल हैं।
उद्योग के अधिकारियों का कहना है कि मानक पूरे करने वाले कुछ होटलों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि अब यह रिजर्व बैंक और कर्ज देने वाले बैंक विशेष पर निर्भर है कि पात्र मामलों की समीक्षा उसके पक्ष में करें। ब्रिडगेट हॉस्पिटलिटी के मुख्य कार्यकारी और कार्यकारी निदेशक विनीत वर्मा ने कहा, ‘दुर्भाग्य से पात्रता मानकों के हिसाब से समिति की सिफारिशें ज्यादातर होटल कंपनियों के पक्ष में नहीं हैं।’
होटल एसोसिएशन आफ इंडिया के वाइस प्रेसिडेंट केबी कचरू ने कहा कि उद्योग ने प्रशंसा की है कि समिति ने दबाव झेल रहे सेक्टर को संज्ञान में लिया। उन्होंने कहा, ‘सख्त वित्तीय अनुपात के कारण ज्यादातर होटल मालिक कर्ज पुनर्गठन के पात्र नहीं हैं।’
बहरहाल समिति ने साफ किया है कि वित्तीय अनुपात पूर्वव्यापी प्रभाव से नहीं बल्कि उत्तरव्यापी प्रभाव से लागू होगा। समिति के एक सदस्य ने कहा, ‘बैंकों को यह साफ कर दिया गया है।’ उन्होंने कहा कि यह आतिथ्य व उड्डयन जैसे क्षेत्रों पर महामारी के व्यापक असर और रिकवरी में लगने वाले लंबे वक्त पर विचार करते हुए किया गया है। कुछ ने स्पष्टीकरण का स्वागत करते हुए कहा है कि इससे कर्ज पुनर्गठन का लाभ पाने वाली कंपनियों की संख्या बढ़ेगी। इसका मतलब है कि वे होटल भी इसके दायरे में आ जाएंगे, जो पिछले एक साल से पात्र हैं। वहीं अन्य का कहना है कि इससे योजना में ज्यादा अंतर नहीं आएगा।
यूपी, आंध्र को अतिरिक्त धन जुटाने की अनुमति
केंद्र ने उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश को कोविड-19 महामारी की वजह से राजस्व में आई गिरावट के मद्देनजर अपने खर्च की जरूरतों को पूरा करने के लिए 7,106 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज जुटाने की अनुमति दे दी है। शुक्रवार को जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, ‘वित्त मंत्रालय ने दो और राज्यों उत्तर प्रदेश और आंध्र प्रदेश को अतिरिक्त कर्ज जुटाने की अनुमति दे दी है। इन राज्यों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) तथा कारोबार सुगमता सुधारों का सफलतापूर्वक कार्यान्वयन करने के लिए यह अनुमति दी गई है।’
इससे इन राज्यों को 7,106 करोड़ रुपये का अतिरिक्तकर्ज उपलब्ध होगा। उत्तर प्रदेश ‘एक देश-एक राशन कार्ड प्रणाली’ का कार्यान्वयन कर पीडीएस में सुधार प्रक्रिया को लागू करने वाला छठा राज्य है। इससे राज्य मुक्त बाजार ऋण (ओएमबी) के जरिये 4,581 करोड़ रुपये की राशि जुटाने का पात्र हो गया है। आंध्र प्रदेश कारोबार सुगमता सुधारों को सफलतापूर्वक लागू करने वाला देश का पहला राज्य है। इससे वह 2,525 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कर्ज जुटाने का पात्र हो गया है। भाषा