केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा है कि बैंकों सहित वित्तीय ऋणदाताओं (फाइनैंशियल क्रेडिटर्स) को दिवाला एवं ऋणशोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के तहत 394 कॉर्पोरेट दिवाला समाधान मामलों के मंजूर समाधान योजनाओं के माध्यम से 30 जून तक 2.45 लाख करोड़ रुपये मिले हैं। ऋणदाताओं को शीर्ष 100 क्रिप्स की मंजूर समाधान योजनाओंं के माध्यम से 2.37 लाख करोड़ रुपये मिले हैं, जो स्वीकार किए गए दावों की तुलना में 36 प्रतिशत ज्यादा है।
लोकसभा में मांगी गई एक जानकारी के जवाब में चौधरी ने कहा कि आईबीसी के तहत 30 जून, 2021 तक कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत 4,540 मामले स्वीकार किए गए थे।
एक अलग सवाल के जबाव में मंत्री ने कहा कि समाधान के लिए बैंकों से इतर वित्तीय सेवा प्रदाताओं के लिए एक अलग ढांचा बनाना जरूरी है, जिससे समाधान योजना को मंजूरी में मदद मिलेगी और 37,167 करोड़ रुपये के मामलों का निपटान हो सकेगा।
बहरहाल आईबीसी के तहत तमाम मामलों में कर्जदाताओं द्वारा हेयरकट 80-90 प्रतिशत पहुंच गया है। सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक 240 कॉर्पोरेट कर्जदारों का परिसमापन दिसंबर 2020 तक किया गया है, जिनका बकाया 33,086 करोड़ रुपये था और
इनकी संपत्तियों का मूल्य 1,099 करोड़ रुपये था।
कानून निर्माताओं ने यह भी सूचित किया कि बैंकों की रिकवरी उनकी सकल गैर निष्पादित संपत्ति के प्रतिशत के रूप में वित्त वर्ष 21 में कोरोना महामारी के कारण कम हुई है। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) ने पिछले तीन वित्तीय वर्षों में 4.18 लाख करोड़ रुपये की वसूली की है, और उनके सकल एनपीए के प्रतिशत के हिसाब से रिकवरी वित्त वर्ष 18 के 13.1 प्रतिशत से बढ़कर वित्त वर्ष 19 में 15.1 प्रतिशत हो गई है। वित्त वर्ष 20 में रिकवरी बढ़कर 15.8 प्रतिशत हो गई, जो महामारी के कारण वित्त वर्ष 21 में गिरकर 12.8 प्रतिशत पर आ गई।
मजबूत बुनियादी धारणा से आ रहा विदेशी निवेश
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि भारत की मजबूत बुनियादी धारणा और बाजार के आकार के कारण नई परियोजनाओं में विदेशी निवेश की आवक जारी है। विश्व निवेश रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए लोकसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा कि भारत में एफडीआई का प्रवाह 25.3 प्रतिशत बढ़कर 2020 में 64 अरब डॉलर पहुंच गया, जो 2019 में 51 अरब डॉलर था। इसकी वजह से विदेशी निवेश हासिल करने के मामले में भारत 5वां बड़ा देश बन गया है, जो इसके पहले के वर्ष मेें आठवें स्थान पर था।
बहरहाल 2020 में घोषित नई परियोजनाओं में 19 प्रतिशत की कमी आई है।
उन्होंने कहा, ‘कुल मिलाकर एफडीआई प्रवाह बेहतर रहा है और भारत की मजबूत बुनियादी धारणा और बाजार के आकार के कारण नई परियोजनाओं में विदेशी निवेश की आवक जारी रहेगी।’