महाराष्ट्र से भेदभाव के मसले पर राज्य के नेता एक सुर में भले ही रेल मंत्री लालू प्रसाद के खिलाफ मोर्चाबंदी करते नजर आ रहे हों।
लेकिन ऐसा लगता है लालू के लिए हर प्रांत के लोग बराबर हैं। कम से कम मुंबई मेट्रो के मामले में तो ऐसा ही लगता है। वरना उत्तर भारतीय मसले के इतना तूल पकड़ने और अपने खिलाफ महाराष्ट्र के नेताओं द्वारा इतना विषवमन करने के बावजूद उन्होंने अपना वह वचन याद कैसे रहता, जो उन्होंने बजटीय भाषण में किया था।
हुआ यूं कि वर्सोवा-अंधेरी-घाटकोपर के बीच 2,356 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाला पहला मेट्रो कॉरिडोर, जो रेल विभाग की अड़चनों की वजह से अटका हुआ था, उसे अब रेलवे ने हरी झंडी दे दी है।
दरअसल, मुंबई सेंट्रल और विरार के बीच अंधेरी स्टेशन के पास प्रस्तावित मेट्रो लाइन को रेलवे लाइन के ऊपर से गुजरना था और इसके लिए मेट्रो लाइन को यहां करीब 15 मीटर ऊंचाई पर बनाना था। लेकिन मेट्रो के लिए ऐसा कर पाना संभव नहीं था। इसलिए रेलवे से सहायता मांगी गई थी।
राज्य के शहरी विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि अब राज्य के मुख्य सचिव जॉनी जोसेफ और पश्चिम रेलवे के मुख्य इंजीनियर (पुल निर्माण) के बीच हुई बैठक में इस मुद्दे का हल खोज लिया गया है।
बैठक में रेलवे से कहा गया कि मेट्रो रेल का निर्माण अभी प्रारंभिक चरण में है और एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण की अभी योजना ही बनाई जा रही है और अगर रेलवे इसकी अनुमति नहीं देती है, तो शहर को पूर्व-पश्चिम से जोड़ने की इस महत्वाकांक्षी योजना पर विराम लग जाएगा। इसके बाद रेलवे ने इस बात की स्वीकृति दे दी कि प्रस्तावित एलिवेटेड मेट्रो पुल को रेलवे ही बनाएगा।
लालू ने बजटीय भाषण में किए वादे की राह में आ रहे रोड़े को हटाया
दी एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण को मंजूरी
मेट्रो ने मांगी थी रेलवे से सहायता
रेलवे ने खुद ही इसके निर्माण का बीड़ा उठाया